गर्भाशय के अंदर बनने वाले मांसपेशियों के ट्यूमर को यूटेरियन फायब्रॉयड्स कहा जाता है. आजकल महिलाओं में ये समस्या तेजी से बढ़ रही है. आमतौर पर इन गांठों से महिलाओं को कोई तकलीफ नहीं होती और न ही इनके कोई खास लक्षण उभरकर सामने आते हैं. ज्यादातर मामलों में डिलीवरी के दौरान इसकी पहचान होती है. अगर आपको भी फाइब्रॉयड्स की समस्या है तो भूलकर भी इसे हल्के में न लें क्योंकि इससे आपके लिए बड़ी परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं.
इन लक्षणों को टालें नहीं
पीरियड्स के दौरान ऐंठन भरा तेज़ दर्द, पेट के निचले हिस्से में दर्द, हैवी ब्लीडिंग, बार बार यूरिन महसूस होना, पीरियड्स खत्म होने के बाद फिर से हल्ली ब्लीडिंग होना, सेक्स के दौरान दर्द महसूस होना, अक्सर कब्ज रहना आदि इसके लक्षण हैं, जिन्हें आमतौर पर महिलाएं सामान्य समझकर टाल देती हैं, लेकिन अगर आपके साथ बार बार ऐसा होता है तो एक बार डॉक्टर की सलाह से मेडिकल चेकअप जरूर करवाएं.
ये है वजह
अभी तक फायब्रॉयड्स की कोई सटीक वजह की पहचान नहीं हो सकी है, लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञ सेक्स हॉर्मोन प्रोजेस्टरॉन और एस्ट्रोजेन की अधिक मात्रा को इसकी वजह मानते हैं. फायब्रॉयड्स में भी प्रोजेस्टरॉन और एस्ट्रोजेन पाए जाते हैं. वहीं कई बार आनुवांशिकता की वजह से भी ये समस्या हो जाती है. हालांकि मेनोपॉज के बाद महिला के शरीर में इन दोनों हॉर्मोन्स की मात्रा घट जाती है, इसलिए ये फाइब्रॉयड्स अपने आप ही सिकुड़ जाते हैं.
ये समस्याएं आतीं सामने
फायब्रॉयड्स नॉन कैंसरस ट्यूमर होते हैं, जो आमतौर पर कोई खास परेशानी नहीं देते. ऐसे अगर आप मां बन चुकी हैं और आगे किसी तरह की प्लानिंग नहीं हैं, तो परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि मेनोपॉज के बाद ये खुद ही समाप्त हो जाते हैं. लेकिन अगर आप प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं तो ये आपके लिए मिसकैरेज, प्रीमेच्योर डिलीवरी, गर्भस्थ शिशु की पोजि़शन में गड़बड़ी जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं. ज्यादातर ऐसे मामलों में सिजेरियन डिलीवरी की जाती है, इस दौरान बहुत ज्यादा ब्लड लॉस हो सकता है. इसकी वजह से एनीमिया की समस्या भी हो सकती है.
क्या है इलाज
अल्ट्रासाउंड के जरिए फायब्रॉयड्स का पता चलता है. इसके आकार और स्थिति के हिसाब से विशेषज्ञ इसका इलाज करते हैं. पेल्विक एरिया में तेज दर्द और हेवी ब्लीडिंग आदि समस्या होने पर सर्जरी द्वारा इसका इलाज किया जाता है. जरूरत पड़ने पर यूट्रस रिमूवल भी किया जा सकता है, लेकिन अगर महिला को इसकी वजह से कोई तकलीफ नहीं है, तो सर्जरी की जरूरत नहीं होती.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-डेस्क जॉब वाले लोगों को करना चाहिए शवासन, जानें इसके फायदे
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