प्रदीप द्विवेदी. बीसवीं सदी में दो गुजराती- महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने देश को आजाद कराने और देश को बनाने में सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाई थी, जिसके नतीजे में विश्व के इतिहास में महात्मा गांधी और देश के इतिहास में सरदार पटेल का नाम अमर है!
इक्कीसवीं सदी में भी दो गुजराती आए हैं- नरेंद्र भाई मोदी और अमित भाई शाह, और.... इन दोनों ने देश का क्या हाल किया है, ये पूरी दुनिया देख रही है?
महात्मा गांधी ने सुट-बुट छोड़ कर भारतीय धोती धारण कर ली थी, लेकिन नरेंद्र मोदी तो संघ की धोती छोड़ कर सुट-बुट में आ गए हैं और हालत यह है कि प्रधानमंत्री की पहचान परिधानमंत्री होती जा रही है.
महात्मा गांधी और सरदार पटेेल ने अपने किसी भी फायदेे के लिए विचारधारा से कभी कोई समझौता नहीं किया, लेकिन मोदी-शाह ने अपनी विचारधारा छोड़ कर उन तमाम नेताओं के जयकारे लगाए, जिनकी विचारधारा से तो वे सहमत नहीं थे, लेकिन उनके नाम के दम पर सत्ता हांसिल हो सकती थी.
महात्मा गांधी और सरदार पटेल की कथनी-करनी में कोई फर्क नहीं था, चेहरा और मुखौटा अलग-अलग नहीं था, लेकिन नरेंद्र मोदी का चेहरा अलग है, मुखौटा अलग है, यही वजह है कि वे दिखावे के लिए महात्मा गांधी का सम्मान तो करते हैं, लेकिन महात्मा गांधी पर अमर्यादित टिप्पणी करने वाले को केवल मन से माफ नहीं करते हैं?
फर्क तो और भी बहुत सारे हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात.... महात्मा गांधी और सरदार पटेल ताउम्र जन की बात करते रहे, लेकिन, नरेंद्र मोदी करते हैं, केवल- मन की बात!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अनिल देशमुख को ED का समन, सुबह 11 बजे पूछताछ के लिए बुलाया, दो निजी कर्मचारियों को किया गिरफ्तार
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