नजरिया. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं और हर दल के जीत के बड़े-बड़े दावेे हैं, परन्तु लगता नहीं है कि चुनाव के नतीजे वैसे होंगे जैसा अनुमान लगाया जा रहा है और जैसा एकतरफा मीडिया दिखाने की कोेशिश कर रहा है, क्योंकि उपर से भले ही सभी आश्वस्त नजर आते हों, किन्तु बंगाल के चुनावी नतीजों के कारण भीतर से सभी आशंकित हैं?
यूपी में गैर-भाजपाई वोटों के बिखराव का समीकरण समझाया जा रहा है, परन्तु ऐसा होगा ही, यह कहना जल्दीबाजी होगी!
खबर है कि असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव एकसाथ मिलकर लड़ने का ऐलान किया है, लेकिन इस गठबंधन को वोट कटवा के तौर पर भी देखा जा रहा है. बड़ा सवाल यह है कि ये अपने पुराने वोट बैंक को भी बचा पाएंगेे या नहीं?
कारण? लोग परेशान हैं और वे किसी सियासी भ्रम में भी नहीं हैैं, मतलब- जनता उसी को वोट देगी, जो उसकी नजर में जीतने केे लायक होगा!
बीजेपी के लिए अपनी पिछले विधानसभा चुनाव की कामयाबी दोेहराना भी आसान नहीं है, क्योंकि, इस बार बीजेपी के खिलाफ भी- किसान आंदोलन, कोरोना कहर के कुपरिणाम जैसे मुद्दों की कमी नहीं है और न ही पीएम मोेदी इनका कोेई संतोेषजनक समाधान निकालते नजर आ रहे हैं? ऐसे में यदि बंगाल की तरह गैर-भाजपाई वोेटों का बिखराव नहीं हुआ, तोे यूपी केे नतीजे भी चौंकाने वाले हो सकते हैं!
https://twitter.com/asadowaisi/status/1409084003110424576
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