नजरिया. किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार शुरू से ही इसे रोकने, दबाने, उलझाने, बदनाम करने की रणनीति पर ही फोकस रही है. इसका नतीजा यह है कि कई राज्यों में मोदी टीम के लिए परेशानियां बढ़ती जा रही हैं.
यह बात अलग है कि इसकी वजह से केंद्र की मोदी सरकार कोे तो कोई तत्काल नुकसान होना नहीं है, क्योंकि लोकसभा चुनाव तो 2024 में हैं, लेकिन निकट भविष्य में होनेवाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों खासकर यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी कोे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
खबरें हैं कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं में बुधवार को गाजीपुर बॉर्डर पर तीखी झड़प हो गई, जब बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता अपने एक नेता का स्वागत करने वहां पहुंचे थे.
खबरों की माने तो इसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि वे (बीजेपी कार्यकर्ता) यहां आए तो एक-एक के बक्कल उतार दिए जाएंगे, यह संयुक्त मोर्चा का मंच है, इस पर किसी को कब्जा जमाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
दरअसल, शुरुआत में गैर-राजनीतिक रहा किसान आंदोलन मोदी सरकार की एकतरफा जिद के चलते बीजेपी विरोधी आंदोलन में बदलता जा रहा है और इसी का नतीजा है कि कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में किसान नेताओं ने वहां बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया था.
यदि यूपी के विधानसभा चुनाव में भी किसान नेता बीजेपी के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे तो इसका नुकसान बीजेपी को हो सकता है?
लेकिन, सियासी सयानों का मानना है कि ऐसी हालत में भी पीएम मोदी सरकार को तो कोई सियासी खतरा है नहीं और शायद इसीलिए मोदी टीम किसान आंदोलन में समाधान का रास्ता तलाशने के बजाए इसे तोड़ने पर फोकस है, अलबत्ता मोदी टीम की इस रणनीति का नुकसान योगी सरकार को हो सकता है!
https://twitter.com/SaurabhBKU/status/1410223402657460228
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