अभिमनोजः बिहार में सियासी बहस! भ्रष्ट कौन है? नेता या अफसर?

अभिमनोजः बिहार में सियासी बहस! भ्रष्ट कौन है? नेता या अफसर?

प्रेषित समय :06:55:59 AM / Fri, Jul 2nd, 2021

नजरिया. बिहार में ट्रांसफर, पोस्टिंग कोे लेकर जोे राजनीतिक बहस, सियासी चर्चाएं शुरू हुई हैं, उसने यक्ष-प्रश्न खड़ा कर दिया है कि- भ्रष्ट कौन है? नेता या अफसर?

पहली खबर है कि अफसरों के तानाशाही रवैये से परेशान हो कर नीतीश कैबिनेट के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने इस्तीफे की पेशकश की है.

उनका कहना है कि लंबे समय से वे परेशानी और यातना झेल रहे हैं. वो मंत्री, मंत्री पद की सुविधा भोगने के लिए नहीं बने हैं, जनता की सेवा करने के लिए बने हैं. ऐसे में जब वे जनता का काम ही नहीं कर पाएंगे, तो मंत्री रहकर क्या करेंगे?

खबरों पर भरोसा करें तो उनका तो यह भी कहना है कि अधिकारी क्या, विभाग के चपरासी भी उनकी बात नहीं सुनते हैं. ऐसे में वे पार्टी में बने रहेंगे और मुख्यमंत्री के बताए हुए रास्ते पर चलेंगे, लेकिन वह मंत्री पद त्याग देंगे.

उनका कहना है कि यहां अफसर निरंकुश हो गए हैं, केवल मंत्री ही नहीं, वो किसी जनप्रतिनिधि की बात नहीं सुनते हैं.

वे कहते हैं कि यहां तो चोरी भी है और सीनाजोरी भी, यहां के अफसर भ्रष्ट हैं. लोग आरोप लगाते हैं कि नेता चोर होते हैं, मैं कहता हूं कि अफसर चोर हैं. कई सालों से सुधार करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सुधार करने की ओर कोई काम नहीं किया जाता है.

उधर, दूसरी खबर यह है कि- बीजेपी विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू ने ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सवाल उठाते हुए कुछ मंत्रियों पर अवैध तरीके से लेन-देन करने का आरोप लगाया है?

खबरों पर भरोसा करें तो ज्ञानू का कहना है कि अगर सरकार उन मंत्रियों के आवास पर छापेमारी करे तो सच सामने आ जाएगा. उनका तो यह भी कहना है कि दूसरे दल से आकर सरकार में मंत्री बने लोगों ने ट्रांसफर-पोस्टिंग में जमकर ‘खेल’ किया है.

इस बीच, मदन साहनी के इस्तीफे के बाद एनडीए के ही सहयोगी जीतन राम मांझी भी मदन सहनी के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं.

खबरों पर भरोसा करें तो मांझी ने मदन सहनी का समर्थन करते हुए कहा कि मदन सहनी ने इस्तीफा दिया है या नहीं, मुझे नहीं पता, लेकिन यह बात सही है कि बिहार में कोई भी अधिकारी, मंत्रियों की बात नहीं सुनता है. किसी विधायक या मंत्री को अधिकारी कोई तरजीह नहीं देते. इस बात को मैने एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में भी उठाया था.

सियासी सयानों का मानना है कि इस सारी चर्चा में यह जानना दिलचस्प होगा कि विभिन्न बयानों में कितनी हकीकत है? और कितना फसाना है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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