प्रदीप द्विवेदी. यूपी में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और पांच तरह के नतीजे आ सकते हैं....
एक- योगी एकतरफा जीत हांसिल करके फिर से मुख्यमंत्री बने, यदि ऐसा होता है तो यह योगी के अपने दम पर संघ के सहयोग से संभव होगा.
दो- योगी बहुमत प्राप्त करें, ऐसा तब संभव है, जब योगी का पाॅजिटिव और मोदी का नेगेटिव फैक्टर बराबर असर दिखाए.
तीन- योगी यूपी चुनाव हार जाएं, ऐसा मोदी के नेगेटिव फैक्टर के बड़े योगदान से ही संभव हो सकता है.
चार- योगी के मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की स्थिति में विपक्ष में वही नेता मुख्यमंत्री बन सकता है, जो ममता बनर्जी जैसा भरोसा जनता में पैदा कर सकेगा, इस लिहाज से सपा के अखिलेश यादव के लिए संभावनाएं बन सकती हैं.
पांच- कांग्रेस और आप के समक्ष अपना वोट बैंक बढ़ाने की, तो बसपा के सामने अपना वोट बैंक बचाने की चुनौती है.
वैसे, औवेसी की पार्टी समेत कई अन्य दल भी चुनावी मैदान में होंगे, ऐसे में वोटों के बंटवारे का हिसाब भी लगाया जा रहा है, खासकर मुस्लिम वोटों के बिखरने का सियासी अनुमान है, किन्तु ऐसा नहीं हुआ तो नतीजों का ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है, ऐसी स्थिति में ओवैसी को बंगाल से भी बड़ा सियासी झटका लग सकता है.
सियासी सयानों का मानना है कि मुस्लिम वोटों से योगी सरकार को कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन दो बड़े कारण हैं, जो योगी की जीत का समीकरण बिगाड़ सकते हैं....
एक- मोदी सरकार के वे काम जो जनता को पसंद नहीं आए हैं, जैसे नए कृषि कानून, पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ाना, कोरोना लापरवाही आदि.
दो- कांग्रेस और आप का वोट प्रतिशत बढ़ सकता है, परन्तु ये ज्यादातर हिन्दू मतदाता होंगे, मतलब- बीजेपी के वोट प्रतिशत में कमी.
इसीलिए, कहा जा रहा है कि- योगी जीते, तो अपने दम पर! हारे, तो मोदी की गलतियों के कारण?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में फिर बढ़ेगा गर्मी का कहर, यूपी-बिहार सहित अनेक राज्यों में बारिश की संभावना
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