नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव किए जाने के बाद इस बार कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. यह उनके लिए इनाम की तरह है. क्योंकि उन्होंने मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने में काफी मदद की. वह मार्च 2020 में कांग्रेस से अपने समर्थक विधायकों को लेकर भाजपा में शामिल हुए थे, जिसके बाद ही फिर से राज्य में भाजपा की सरकार बन सकी. ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन यानी सिविल एविएशन मंत्रालय सौंपा गया है. आपको बता दें कि 30 साल पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया खुद भी नागरिक उड्डयन मंत्री थे.
माधवराव सिंधिया को पीवी नरसिम्हा राव सरकार में यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी. माधवराव सिंधिया 1991 से 1993 तक राव सरकार में नागरिक उड्डयन और पर्यटन विभागों के प्रमुख रहे थे. यह तब की बात है जब देश राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिहाज से अहम दौर से गुजर रहा था। तब भारत ने उदारीकरण को अपनाया था. अब कोरोना काल में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नागरिक उड्डयन मंत्री बनना समान रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया और माधवराव सिंधिया, दोनों नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभालने से पहले केंद्रीय मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं. माधवराव ने राजीव गांधी सरकार में रेल मंत्री के रूप में कार्य किया था तो ज्योतिरादित्य ने मनमोहन सिंह सरकार में संचार और आईटी मंत्री के रूप में कार्य किया था। उन्हें डाक व्यवस्था को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है.
साल 2002 में पहली बार सांसद बने ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद की थी. 18 सितंबर, 2001 को माधवराव का एक हवाई दुर्घटना में निधन हो गया था. उस दौरान माधवराव गुना से लोकसभा सांसद थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता की लोकसभा सीट से ही पहली बार चुनाव लड़ा और फरवरी 2002 में साढ़े चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर संसद पहुंचे थे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः सिंधिया, सचिन, आजाद ने पाया कम, खोया ज्यादा?
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