प्रदीप द्विवेदी (खबरंदाजी). कई बार बच्चा फेल होता है और मुर्गा, मास्टरजी को बना दिया जाता है.... कुछ ऐसा ही राजनीति में भी कभी-कभी होता है, जैसे- परीक्षा प्रधानमंत्री दें और फेल मंत्री हो जाएं? जैसे- मास्क मोदी ने नहीं लगाया और सियासी जुर्माना डाॅ हर्षवर्धन को भरना पड़ गया!
बहरहाल, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देशभर में मचे हाहाकार ने मोदी सरकार की इमेज पर ही कई प्रश्न-चिन्ह लगा दिए हैं?
इधर, मोदीजी टीवी पर आकर कामयाबी के प्रवचन लहराते रहे और उधर, कोरोना प्रबंधन की गाडी ही पंचर हो गई!
ऐसा लगा जैसे देशभर में मोदी सरकार की लापरवाही के कारण कोरोना मौतें हुईं हों?
इतना ही नहीं, मोदी विरोधियों ने भी बेड, ऑक्सीजन की कमी से लेकर कोरोना प्रबंधन तक के मोर्चे पर नाकामी को लेकर खूब हाय-तौबा मचाया और सारी गड़बड़ी का ठीकरा मोदी सरकार पर फोड़ दिया!
भला बताओ? टीवी पर प्रवचन, चुनावी रैलियों में प्रचार जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को छोड़कर हाई लेवल मीटिंग के बाद भी लो लेवल परफोर्मेंस नजर आए, तो कोई क्या करे?
सियासी सयानों का कहना है कि अब तो जनता को समझ लेना चाहिए कि कोरोना वैक्सीन लगने पर मोदीजी को थैंक यू कहना है और कोरोना वैक्सीन नहीं मिलने पर स्वास्थ्य मंत्री से सवाल करना है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पीएम मोदी ने मंत्रियों को जवाबदेह बनाने और कामकाज को दुरुस्त करने का दिया स्पष्ट संकेत
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