नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा की समिति की ओर से भेजे गए समन के खिलाफ फेसबुक इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट अजित मोहन और अन्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों से संबंधित जांच में पेश होने से जुड़ी फेसबुक इंडिया के VP की याचिका खारिज कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें पैनल के सामने पेश होना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक में लोगों को प्रभावित करने की शक्ति और क्षमता है. इन प्लेटफार्म्स पर पोस्ट से समाज का ध्रुवीकरण किया जा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि समाज के कई सदस्यों के पास संबंधित सामग्री की पुष्टि करने के साधन नहीं हैं.
हालांकि अदालत ने कहा कि विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति का दिल्ली की कानून-व्यवस्था सहित कई मुद्दों पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. यह विषय केंद्र सरकार के अधीन आता है. इसकी एक सीमा है. कोर्ट ने कहा कि अगर कमेटी एक तय सीमा के बाहर सवाल करे तो याचिकाकर्ता का कोई प्रतिनिधि जवाब देने से इनकार कर सकता है.
बता दें जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने 24 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. शीर्ष अदालत में अपनी दलीलों में मोहन के वकील ने कहा था कि आज के 'शोर-शराबे के समय' में 'चुप रहने का अधिकार' एक गुण है और शांति एवं सौहार्द के मामले की पड़ताल के लिए विधानसभा के पास समिति का गठन करने की कोई विधायी शक्ति नहीं है.
के अधिकारी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा था कि शांति समिति की स्थापना करना दिल्ली विधानसभा का प्रमुख कार्य नहीं है क्योंकि कानून व्यवस्था का मुद्दा राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है. वहीं, समिति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा था कि विधानसभा के पास समन जारी करने का अधिकार है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्य प्रदेश: युवक ने अपने गांव को फेसबुक पर बताया मिनी पाकिस्तान, गिरफ्तार
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