जबलपुर के मेडिकल अस्पताल के डाक्टरों का कमाल: 20 दिन के मासूम बच्चे के दाएं ओर दिल, छाती पर चढ़ गई आंत, लीवर, आपरेशन कर सबको सही जगह सेट किया

जबलपुर के मेडिकल अस्पताल के डाक्टरों का कमाल: 20 दिन के मासूम बच्चे के दाएं ओर दिल, छाती पर चढ़ गई आंत, लीवर, आपरेशन कर सबको सही जगह सेट किया

प्रेषित समय :16:29:55 PM / Sat, Jul 10th, 2021

पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज के 9 डाक्टरों की टीम ने 20 दिन के मासूम बच्चे को नई जिदंगी दी है. बच्चे का दाई ओर दिल रहा तो लीवर व आंते, छाती में चढ़कर चिपक गई थी, जिससे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने लगी, आक्सीजन लेवल भी लगातार गिर रहा है. 9 डाक्टरों की टीम ने दो घंटे आपरेशन करके बाद सभी अंगों को सब जगह सेट कर दिया, बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है, माता-पिता की खुशी का भी ठिकाना नहीं है.

बताया गया है कि सतना निवासी सेना के जवान की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया, घर में पहला बच्चा होने से परिजनों की खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन बच्चे की तबियत खराब होने से परिजन परेशान हो गए, सतना में डाक्टरों ने जांच करते हुए मामला गंभीर बताते हुए कहीं और ले जाने की सलाह दी, दम्पति अपने बच्चे को लेकर जबलपुर मेडिकल अस्पताल पहुंचे, जहां पर डाक्टरों ने जांच की तो पाया कि बच्चे का दिल दाएं ओर है, फेफड़े भी अविकसित है, लीवर व आंते चढ़कर छाती में जाकर चिपक गई है. जिसके चलते बच्चे को सांस लेने में बहुत तकलीफ रही, यह समस्या गर्भ में सही विकास न होने से आती है.

आक्सीजन लेवल भी लगातार गिर रहा था, आपरेशन ही एक मात्र उपाय था, ऐसे में डाक्टर विकेश अग्रवाल, अभिषेक तिवारी, हिमांशु आचार्य, राजेश मिश्रा, आशीष सेठी, हर्ष, मोहित, नरेश व डाक्टरा जोलिया की टीम ने बच्चें का आपरेशन करने का फैसला लिया, करीब दो घंटे की सर्जरी में बच्चें के सभी अंगों को सही जगह सेट करके नई जिदंगी दी है. डाक्टरों का कहना था कि हर तरह के मामले मेडिकल कालेज में साल में 20 से 25 आते है, लेकिन पहली बार किसी नवजात का आपरेशन करना था, जिसके चलते दो दिन तक बच्चे के कई तरह के टेस्ट कराए गए, टू डी एंडोस्कोपी तकनीक से आपरेशन किया गया, यदि निजी अस्पताल में आपरेशन कराया जाता है तो चार से पांच लाख रुपए का खर्च आता.  लेकिन डाक्टरों ने 3 एमएम का चीरा लगाकर बच्चे के पेट के अंग आमाशय, लीवर, तिल्ली, छोटी व बड़ी आंत को वापस पेट में स्थापित किया, पेट व छाती के बलीच का डिफेक्टर घुलनशील टांकों से रिपेयर किया गया, 20 दिन के नवजात को नई जिदंगी मिलने से दम्पति की खुशी का भी ठिकाना नही रहा, डाक्टरों के अनुसार अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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