सन्यासी विद्रोह जनमानस का विद्रोह था: डॉ. आनंद वर्धन

सन्यासी विद्रोह जनमानस का विद्रोह था: डॉ. आनंद वर्धन

प्रेषित समय :18:08:34 PM / Wed, Jul 14th, 2021

महू (इंदौर).‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में सन्यासी विद्रोह की निर्णायक भूमिका रही है. 1857 को हम प्रथम स्वाधीनता संग्राम के रूप में जानते हैं जबकि इसके सौ वर्ष पहले सन्यासी विद्रोह ने इसकी बुनियाद रख दी थी . फतह बहादुर शाही सन्यासी आंदोलन के सूत्रधार थे और लगभग आधे भारत में कंपनी सरकार को अपने पैर पीछे खींचने में फतह बहादुर शाही और सन्यासी आंदोलन ने मजबूर किया था. भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में फतह बहादुर शाही और सन्यासी आंदोलन को पुन: लिखे जाने और नयी पीढ़ी को इससे अवगत कराने की आवश्यकता है.’. यह बात म्यूजियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी डॉ. आनंद वर्धन ने ने कही. डॉ. वर्धन डॉ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू एवं हेरिटेज सोसायटी पटना के संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर ‘फतह बहाुदर शाही एवं सन्यासी विद्रोह’ विषय पर बोल रहे थे.

डॉ. वर्धन ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में सन्यासी विद्रोह के अनेक अनछुये पहलुओं को रेखांकित करते हुए सन्यासी विद्रोह 1757 में शुरू हो चुका था. उन्होंने कहा कि सन्यासी विद्रोह का विषय राष्ट्रभक्ति की बोध का विषय है. यह और बात है कि राजनीतिक कारणों से भारत बोध कुछेक समय के लिए क्षतिग्रस्त हुआ है लेकिन इतिहास बताता है कि हमारी गौरवशाली परम्परा ऐसे लोगों को स्थान बनाने नहीं दिया. डॉ. वर्धन कहते हैं कि भारत एकमात्र राष्ट्र है जिसके पास आत्म बलिदान की दीर्घ श्रृंखला और इतिहास है. डॉ. वर्धन का कहना था कि पलासी और बक्सर राजसत्ता का संघर्ष था जबकि सन्यासी विद्रोह जनसंघर्ष था. दसनाम सन्यासियों ने एक बडेि सैनिक संगठन का गठन किया था जो बैंकिंग और महाजनी भी करते थे. ये लोग सशुल्क सैनिक सेवा भी देते थे. सारण राज्य के राजा फतह बहादुर शाही के बारे में डॉ. वर्धन का कहना था कि वे गुरिल्ला युद्ध के महान सैनिक थे. 1772 के कुंभ मेले में सन्यासी संघर्ष बढ़ता गया और  1775 में नागा सन्यासियों की संख्या बढक़र 20 हजार हो गई थी. इस सूचना के बाद कंपनी सरकार में घबराहट फैल गई. डॉ. वर्धन ने विषय को विस्तार देते हुए अनेक आयामों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि इतिहास लेखन में जो पक्ष छूट गया है, उसे पुन: तथ्य और तर्क के साथ लिखे जाने की आवश्यकता है.

वेबीनार के आरंभ में कार्यक्रम की संचालक डॉ. विंध्या तातेर ने अतिथियों का स्वागत किया. वेबीनार में सह संयोजक की हेरिटेज सोयायटी के महानिदेशक डॉ. अनंताशुतोष द्विवेदी ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया. कार्यक्रम के अंत में यौगिक विज्ञान विभाग के प्रभारी एवं कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अजय दुबे ने अतिथियों, मागर्दशक कुलपति प्रो. आशा शुक्ला, डीन प्रो. डी के वर्मा, रजिस्ट्रार श्री अजय वर्मा के साथ ब्राउस परिवार के लोगों का आभार व्यक्त किया. डॉ. दुबे ने कहा कि महामहिम राज्यपाल श्री मंगू भाई सी. पटेल के संरक्षण एवं मार्गदर्शन, कुलपति प्रो. आशा शुक्ला, अमृत महोत्सव के इस संकल्प को साकार करने के लिए लगन के साथ मेहनत कर रही हैं और हम सबको प्रेरित भी कर रही हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि कुलपति महोदया के मार्गदर्शन में हम आगे बढ़ते रहेंगे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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