प्रदीप द्विवेदी. देश के दिग्गज नेताओं के समक्ष दो ही सर्वोच्च पद हैं- प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति.
सियासी समय चक्र कई बार ऐसा चला कि कई दिग्गज नेता इन दोनों पदों के एकदम करीब पहुंच कर भी इन्हें हासिल नहीं कर सके, तो कुछ नेता इन पदों को हासिल तो कर पाए, लेकिन केवल नाम दर्ज करवानेे भर के लिए?
बीजेपी के दिग्गज नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी भी ऐसे नेता रहे हैं, जो प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए, तो राष्ट्रपति उन्हें उनके अपनों ने ही बनने नहीं दिया? सोचो, यदि आडवाणी राष्ट्रपति बन जाते, तो क्या मोदी इतनी आजादी से मनमानी कर पाते?
देश के दिग्गज नेता शरद पवार के लिए भी दो ही पद हैं- राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री.
यही वजह है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के बीच हुई मुलाकात के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी कि वे विपक्ष से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन इस संभावना पर उन्होंने खुद ही विराम लगा दिया है.
खबरों पर भरोसा करें तो शरद पवार ने राष्ट्रपति की उम्मीदवारी की खबरों को खारिज किया है और कहा है कि- प्रशांत किशोर से राष्ट्रपति पद पर मेरी उम्मीदवारी पर कोई चर्चा नहीं हुई है.
दरअसल, विपक्ष के लिए राष्ट्रपति पद हासिल करना आसान नहीं है और पीएम मोदी तो शरद पवार को कैसे समर्थन दे सकते हैं? बल्कि, इस बार तो हो सकता है कि मोदी स्वयं राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बन जाएं?
खैर, शरद पवार यदि राष्ट्रपति नहीं बनते हैं, तो दूसरा पद है- प्रधानमंत्री, परन्तु यहां भी सियासी समीकरण इतना आसान नहीं है.
एनडीए में तो कोई संभावना है नहीं और विपक्ष में सबसे बड़ा दल कांग्रेस है, लिहाजा प्रधानमंत्री का पद किसी गैर-कांग्रेसी को कैसे मिल सकता है?
देश में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरी पार्टी नहीं है, जो लोकसभा चुनाव में एक सौ से ज्यादा सीटें जीत सके, मतलब- प्रधानमंत्री का पद या तो बीजेपी को मिल सकता है या फिर कांग्रेस को, किसी और दल को नहीं? ऐसा नहीं होता तो नीतीश कुमार भी अब तक तो प्रधानमंत्री बन चुके होते!
सियासी सयानों का मानना है कि हालांकि किसी गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपाई के लिए प्रधानमंत्री बनना बेहद मुश्किल है, लेकिन प्रयास करने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि राजनीति का क्षेत्र, कर्म प्रधान नहीं, भाग्य प्रधान है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-शरद पवार ने कहा खारिज नहीं कर सकते कृषि कानून, भाजपा ने किया बयान का स्वागत
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