प्रदीप द्विवेदी. पेगासस जासूसी मामले में मोदी सरकार अपने बचाव में लगी है और सीधे-सीधे सवालों के भी जलेबी जवाब दे रही है?
एकदम सीधे सवाल हैं....
एक- क्या मोदी सरकार ने पेगासस जासूसी की सेवाएं लीं या नहीं?
दो- यदि लीं तो इस पर जनता के टैक्स का कितना पैसा खर्च किया? किस-किस की जासूसी की गई?
तीन- यदि नहीं, तो मामला और भी गंभीर है, कि फिर जासूसी किसने करवाई?
जाहिर है, इन सवालों के विश्वसनीय जवाब जांच केे बाद ही मिल सकते हैं!
जो मोदी सरकार करवाना नहीं चाहती?
पेगासस जासूसी के मामले में आज तक न्यूज चैनल पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का कहना था कि- अगर सच से डरते नहीं हैं तो आइए सदन में, पेगासस पे सरकार क्यूँ बहस नही करना चाहती? सरकार से पूछा जाए उस पर बहस कीजिए, जवाब दीजिए, रणछोड़ न बने... सरकार को प्रजातंत्र में यकीन नही है, ना ये मुद्दे की बात करना चाहते हैं.
नैतिकता के नाम पर ही आपको बहस करनी पड़ेगी और उस बहस में गृहमंत्री अमित शाह को भी शामिल होना पड़ेगा.
सुप्रिया का कहना था कि भाजपा प्रवक्ता कल तक कहते नहीं थक रहे थे- सदन में बहस होनी चाहिए पेगसस पर, तो भाइयों, बहस का नाम आते ही क्यों रफूचक्कर हो गयी सरकार?
सच बोलने में हाथ पाँव काहे फूलने लगते हैं?
सरकार जासूसी वाले मामले में बहस क्यों नहीं करना चाहती, सदन चलाने में सरकार की बड़ी भूमिका होती है.
सरकार कब तक जिम्मेदारियों से अपना पल्ला झाड़ेगी. नैतिकता के आधार पर ही सही, लेकिन गृहमंत्री को जवाब देना पड़ेगा,
सरकार जासूसी मामले में जांच ही नहीं करवाना चाहती है. उनके प्रवर्तक टीवी चैनल पर आकर सिर्फ हिंदुस्तान की आवाम को गुमराह कर रहे हैं कि सरकार जांच कराने के लिए तैयार है, पर चर्चा ही नहीं होगी, चर्चा करने के लिए सच से डरते क्यों हैं?
उधर, पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी का भी कहना था कि पेगासस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए.
याद रहे, पेगासस जासूसी कांड को लेकर ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एमबी लोकुर और कोलकाता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ज्योतिर्मयी भट्टाचार्य के नेतृत्व में एक कमीशन का गठन किया है, जो पिछले दिनों कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों के फोन टैपिंग और हैकिंग के मामले की जांच करेगा.
खबरों पर भरोसा करें तो ममता बनर्जी ने पेगासस जासूसी विवाद को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर देश को निगरानी वाला राष्ट्र बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था.
यही नहीं, ममता का विपक्षी दलों से भी कहना था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए सभी को साथ आना होगा. स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों आदि को निशाना बनाने वाले कथित जासूसी प्रकरण का संज्ञान लें.
सियासी सयानों का मानना है कि जासूसी प्रकरण पर मौदी मौन साधे रहेेंगे, क्योंकि वे जानते हैं कि गुजरतेे समय के साथ यह मुद्दा भी ठंडा पड़ जाएगा और वे जिम्मेदारी से आराम से बच निकलेंगे!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-निर्लज्जता की कोई तो हद होगी। इस देश ने मौत का इतना भयानक मंज़र कभी नहीं देखा, बिना ऑक्सिजन के तड़प तड़प के मौतें हुईं आप कहते हैं कुछ हुआ ही नहीं? pic.twitter.com/dqAsALOgz4
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) July 22, 2021
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