पल-पल इंडिया (व्हाट्सएप-7597335007). इस सोमवार को सोशल मीडिया पर भारत के दो राज्यों के बीजेपी के ही मुख्यमंत्री आमने-सामने थे, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा, दोनों एक-दूसरे पर सियासी निशाना साधते नजर आए. संभवतया देश के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका था, जब दो पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच ऐसा सियासी संग्राम हो रहाा था.
दिलचस्प बात यह है कि इसकी सोशल मीडिया पर जितनी चर्चा रही, उसके सापेक्ष न्यूज चैनलों का रवैया उतना ही ठंडा रहा.
केंद्र सरकार भी इस मुद्दे पर खामोश ही रहकर बचाव में लगी रही, जबकि असम के मुख्यमंत्री और मिजोरम के मुख्यमंत्री, दोनों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस घटना को लेकर अपनी-अपनी बात रखी थी. क्या किसी की जिम्मेदारी तय की गई?
याद रहे, इस घटना से एक दिन पहले ही गृहमंत्री अमित शाह शिलांग में आसपास के सातों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिले थे.
उधर, देश के प्रमुख न्यूज़ चैनल पर इस घटना पर चर्चा को नजरअंदाज करने को लेकर प्रमुख स्वतंत्र पत्रकार रविंद्र गौतम ने शब्दबाण चलाए... असम-मिजोरम पर न दंगल हुआ, न किसी ने हल्ला बोला, न ही आर-पार हुआ और न तो भारत ने ही पूछा, न ही किसी और तथाकथित राष्ट्रवादी पत्रकार या राष्ट्रवादी चैनल ने इस गम्भीर मुद्दे पर चर्चा करी!
क्या असम-मिजोरम हमारे देश के प्रांत नहीं हैं?
क्या इससे पहले कभी ऐसी हिंसा सुनी है?
https://twitter.com/RavindraGautam_/status/1420023438660538373
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