नई दिल्ली. पेगासस जासूसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में डाली गई याचिका को स्वीकार कर लिया गया है. खबर है कि इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाई की जा सकती है. शुक्रवार को चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच के सामने इस मामले को उठाया गया, जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह अगले हफ्ते इस मामले को सुनेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच के सामने इस मामले को उठाया था. उन्होंने द हिंदू के पूर्व मुख्य संपादक एन राम और एशियानेट के संस्थापक शशि कुमार (निदेशक एसीजे) की ओर से दाखिल की गई याचिका का जिक्र किया. याचिका में मांग की गई है कि इस पूरे मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा या सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में की जाए. याचिका की जानकारी मिलने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस मामले पर अगले हफ्ते सुनवाई करेंगे.
हाल ही में कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए भारत के विपक्षी नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और पत्रकारों की जासूसी की गई है. याचिका में कहा गया है कि दुनिया भर के कई प्रमुख प्रकाशनों से जुड़ी जांच से पता चला है कि भारत में 142 से अधिक व्यक्तियों को इजरायली फर्म एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके सर्विलांस के संभावित लक्ष्य के रूप में पहचाना गया था.
याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को सरकार को यह बताने का निर्देश देना चाहिए कि क्या उसने स्पाईवेयर के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस प्राप्त किया है या इसका इस्तेमाल ऐसे ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह की निगरानी के लिए किया है. याचिकाकर्ताओं के अनुसार एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा संभावित लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध लोगों के कई मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच में सुरक्षा उल्लंघनों की पुष्टि हुई है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-प्रदीप द्विवेदीः क्या पेगासस जांच में देरी का मकसद डेटा साफ करना है?
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