प्रदीप द्विवेदी. पूरी दुनिया में तहलका मचाने वाले पेगासस सॉफ्टवेयर के प्रयोग को लेकर देश में हंगामा मचा हुआ है और लगातार इसकी जांच की मांग की जा रही है, जबकि मोदी सरकार ने जांच के नाम पर मौन साध रखा है, क्यों?
सबसे बड़ा सवाल तोे यह है कि जांच में देरी का कारण कहीं यह तो नहीं है कि निर्धारित समय के बाद जासूसी का डेटा ही साफ हो जाए?
उधर, खबर है कि पेगासस सॉफ्टवेयर को लेकर फ्रांस में बड़ा खुलासा हुआ है. वहां पर दो पत्रकारों के फोन की जासूसी पेगासस के जरिए की गई थी. फ्रांसीसी साइबर सिक्योरिटी एजेंसी ने इस बात की पुष्टि कर दी है.
खबरों में बताया गया है कि ये दोनों पत्रकार मीडियापार्ट समाचार आउटलेट के लिए काम करते हैं और जिन दो पत्रकारों का फोन हैक होने की बात सामने आई है, उनके नाम हैं- लीनेग ब्रेडॉक्स और एड्वी प्लेनेल. इन दोनों का नाम एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब की रिपोर्ट में था.
मतलब.... यह तो साबित हो चुका है कि पेगासस जासूसी की खबर हवा में नहीं थी, लेकिन मोदी सरकार इसकी जांच क्यों नहीं करवा रही है?
दिलचस्प बात यह है कि बीबीसी की एक रिपोर्ट कहती है कि.... बताया गया है कि जिन लोगों के मोबाइल नंबर इस लिस्ट में हैं, उनमें से 67 लोग अपना फोन फ्रांसीसी मीडिया संस्थान- फॉरबिडन स्टोरीज, को फॉरेंसिक जांच के लिए देने को तैयार हो गये थे. इनमें से 37 लोगों के फोन में एमनेस्टी इंटरनेशनल सिक्योरिटी लैब्स को पेगासस स्पाइवेयर द्वारा संभावित रूप से टारगेट बनाये जाने के सबूत मिले हैं.
लेकिन, एनएसओ ग्रुप का कहना है कि उसे इसकी जानकारी नहीं है कि सूची में दिये गए कुछ मोबाइल फोनों में स्पाइवेयर के अवशेष कैसे हैं? कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि ये महज एक संयोग हो सकता है!
क्या इसका मतलब यह समझा जाए कि जिनकी जासूसी की गई उनका डेटा कुछ समय बाद अपनेआप साफ हो जाता है और किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण कुछ मोबाइल में स्पाइवेयर के अवशेष रह गए?
अगर ऐसा है, तो जांच में देरी के कारण सच्चाई सामने आने की संभावनाएं कमजोर पड़ जाएंगी?
यह तकनीक कुछ ऐसी हो सकती है, जैसी कुछ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यह सुविधा उपलब्ध है कि सात दिन के बाद डेटा अपने आप साफ हो जाता है, फिर यह जानना संभव नहीं होता कि क्या पोस्ट किया गया था?
मोदी सरकार तो जांच से भाग रही है, लेकिन बड़ी खबर यह है कि पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच की अर्जी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. कोर्ट ने कहा है कि अगले हफ्ते इसकी सुनवाई की जाएगी.
खबरों के अनुसार इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार ने पिटीशन फाइल की है. यही नहीं, बेंच में पिटीशन मेंशन करते हुए यह भी कहा गया है कि इस केस की जल्द
सुनवाई की जाए, क्योंकि यह विवाद काफी फैला हुआ है. देश के नागरिकों, विपक्ष के नेताओं और पत्रकारों की निगरानी करना उनकी आजादी का हनन है.
खबरों के अनुसार पिटीशनर ने अपील की है कि पेगासस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर या मौजूदा जज की अध्यक्षता में गठित एसआईटी से करवाई जाए. केंद्र को ये बताने के लिए कहा जाए कि क्या सरकार या फिर उसकी किसी एजेंसी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है? क्या पेगासस स्पाइवेयर का लाइसेंस लिया गया?
देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार जांच को कब तक टालती है? और, क्या डेटा जांच शुरू होने तक सुरक्षित रह पाता है?
https://www.palpalindia.com/2021/07/28/delhi-Modi-government-Pegasus-investigation-delayed-data-clear-phone-spy-case-news-in-hindi.html
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