घरेलू पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए केंद्र शासित प्रदेश की यात्रा के लिए आवश्यक इनर लाइन परमिट की जरूरत नहीं होगी. लद्दाख गृह विभाग ने अपने आधिकारिक नोटिफिकेशन में सुप्रिटेंडेंट और डिप्टी सुप्रिटेंडेंट को दिए गए निर्देश के मुताबिक रक्षित क्षेत्र के लोग अन्य संरक्षित क्षेत्रों में बिना किसी इजाजत के जा सकते हैं. लद्दाख के उपराज्यपाल के ऑर्डर के मुताबिक संरक्षित क्षेत्रों के निवासियों को जारी किए जाने वाले पहचान डॉक्यूमेंट्स में संबंधित अधीक्षक/उप अधीक्षक अन्य तहसीलों में स्थित संरक्षित क्षेत्रों को भी इस संबंध में निर्देश जारी करेंगे, जहां इन दस्तावेजों के धारक बिना किसी परमिट के वास्तविक उद्देश्यों के लिए जा सकेंगे.
इनर लाइन परमिट के इस आदेश को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर ने मंजूरी दी थी. 2017 के एक आदेश में सरकारी अधिकारियों ने 300 रुपये का पर्यावरण शुल्क, 100 रुपये का रेड क्रॉस फंड शुल्क और घरेलू पर्यटकों के लिए आईएलपी को फिर से शुरू किया था.
भारतीय पर्यटकों के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत होती थी, लेकिन विदेशियों को संरक्षित क्षेत्र परमिट (पीएपी) की जरूरत थी. पर्यटकों को नुब्रा घाटी, खारदुंग ला, पैंगोंग त्सो, त्सो मोरीरी, दाह, हनु गांव, मान, मराक, न्योमा, लोमा बेंड, तुर्तुक, त्याक्षी, चुसुल, हनले, डिगर ला, तंगयार तक इनर लाइन इलाकों में ट्रैकिंग के लिए ये परमिट लगता था.
टूरिस्ट विंग की शुरुआत
पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को उप-राज्यपाल ने लद्दाख पुलिस की टूरिस्ट विंग की भी शुरुआत की. यह विंग केंद्र शासित प्रदेश में आने वाले पर्यटकों के सामने आने वाली समस्याओं का निपटारा करेगी. इस बीच, केंद्र शासित प्रदेश में जल जीवन मिशन को बढ़ावा देने के लिए ब्लॉक और पंचायत स्तर पर ‘पानी माह’ पहल दो चरणों में चलाया जा रहा है. पहला चरण 1-14 अगस्त से चलाया जा रहा है और दूसरा चरण 16-30 अगस्त, 2021 तक चलेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कुल्लू: नदी-नालों और ऊंचे पहाड़ों की ओर न जाएं पर्यटक, मौसम विभाग का अलर्ट
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