राजस्थान के दौसा में बना था लाल किले पर फहराया गया पहला तिरंगा!

राजस्थान के दौसा में बना था लाल किले पर फहराया गया पहला तिरंगा!

प्रेषित समय :07:22:20 AM / Sun, Aug 15th, 2021

नीति गोपेंद्र भट्ट. पूरा देश आज रविवार को आजादी की  75वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराने के बाद राष्ट्र को सम्बोधित करेंगे.

प्रधानमंत्री ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ को अमृत महोत्सव का नाम दिया है. उन्होंने गुलामी की निशानियों से ऊपर आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक के रूप में नई दिल्ली में महत्वाकांक्षी सेंट्रल  विस्टा प्रोजेक्ट को हाथ में लेकर नए  संसद भवन के निर्माण की आधार शिला भी रख दी है.

बहुत कम लोगों को यह मालूम होगा कि आजादी की पहली सुबह पर वर्ष 1947 को दिल्ली के लाल किले पर फहराया गया तिरंगा झंडा राजस्थान के दौसा में बना था.

स्वाधीनता दिवस पर देश के हर शहर और दफ्तर पर तिरंगा फहराया जाता है. इस मौके पर  देशवासी खुद को गौरवान्वित महसूस करते  हैं और देश की आन बान व शान के प्रतीक तिरंगे को नमन कर आजादी के अमर शहीदों का स्मरण  करते हैं.

राजस्थान के दौसा जिले के हर नागरिक को इस दिन एक अलग ही अनुभूति होती हैं, क्योंकि तिरंगे का दौसा से खास जुड़ाव है.माना जाता है कि लाल किले पर जो झंडा पहली बार लहराया गया था वो दौसा के आलूदा के बुनकर चौथमल ने बनाया था.

बताते है कि आजादी के पहले तिरंगे को लहराने की तैयारी के लिए चरखा संघ के देशपाण्डे व जनरल टाड को जिम्मेदारी सौंपी गई थी.इस दौरान देश के विभिन्न भागों से तीन झंडे लाए गये.एक दौसा के आलूदा गांव से,दूसरा राजस्थान के ही अलवर जिले के गोविंदगढ़ से और तीसरा एक अन्य स्थान से लाया गया था.बताया जाता है कि दौसा के आलूदा के बुनकर चौथमल द्वारा बनाया गया झंडा ही पहली बार लाल किले पर लहराया गया.हालांकि इसका कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है.

दौसा के बुनकरों की झण्डा बनाने की यह कारीगरी आज भी बदस्तूर जारी है.खादी समिति दौसा के प्रवक्ता का कहना है कि हालांकि आज़ादी की पहली सुबह पर दिल्ली में फहराया जाने वाला तिरंगा देश के अन्य स्थानों  से भी गया था लेकिन कहा यहीं जाता हैं कि दौसा में बने तिरंगे को पहली बार लाल किले से आजाद हवा में लहराने का मौका मिला था.तिरंगे को लेकर दौसा का नाम तभी से इतिहास के चर्चा से जुड़ा हुआ हैं.

हमारे देश में सिर्फ तीन जगह ही तिरंगे के कपड़े का निर्माण होता हैं,इसमें महाराष्ट्र में नांदेड़, कर्नाटका में हुबली व राजस्थान में दौसा का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं.दौसा खादी समिति तिरंगेमें लगने वाले कपड़े का निर्माण करती हैं. यहां से मुंबई जाने के बाद एक मात्र खादी डायर्स एण्ड प्रिटिंग में इस कपड़े से तिरंगा बनाया जाता है.

इसी प्रकार आजादी से ठीक पहले कांग्रेस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा फहराया गया तिरंगा ध्वज भी राजस्थान के अलवर जिले के नीमराना से ताल्लुक रखने वाली अंजु नागर के घर मेरठ (हस्तिनापुर) में सुरक्षित रखा हुआ है. नागर के मौसेरे भाई तरुण रावल के अनुसार यह झण्डा 1946 में कांग्रेस के आखिरी अधिवेशन में मेरठ में फहराया गया था. इस तिरंगे को नागर परिवार ने आज भी बहुत ही सलीके के साथ सहेज का रखा हुआ है. यह ऐतिहासिक तिरंगा 14 फीट चौड़ा और 9 फीट लंबा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

राजस्थान में जातीय पंचायत ने दो भाइयों पर लगाया 34 लाख का जुर्माना, बंद किया हुक्का-पानी

राजस्थान केे भीलवाड़ा में खदान ढही, 4 महिलाओं समेत 7 मजदूर मलबे में दबे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

राजस्थान में नाबालिग का अपहरण, पहाड़ियों में ले जाकर किया रेप

Leave a Reply