अभिमनोजः बेशर्म बहस जारी है, लेकिन यह तय रहा कि पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होंगे!

अभिमनोजः बेशर्म बहस जारी है, लेकिन यह तय रहा कि पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होंगे!

प्रेषित समय :07:13:26 AM / Wed, Aug 18th, 2021

नजरिया. पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर राजनीतिक दलों में बेशर्म बहस जारी है, लेकिन इस बीच यह साफ हो गया है कि पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होंगे!

खबर है कि कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होने से संबंधित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान को लेकर उन पर शब्दबाण चलाए और आरोप लगाया कि- तेल बॉन्ड के कारण नहीं, बल्कि मोदी सरकार की ओर से 12 बार सब्सिडी घटाए जाने और केंद्रीय करों में बढ़ोतरी करने के कारण पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ी हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन का कहना था कि वित्त मंत्री, बीजेपी की- झूठ से बैर नहीं, सच की खैर नहीं, वाली नीति पर चल रही हैं.

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी के लिये उत्पाद शुल्क में कटौती से इनकार करते हुए कहा था कि- पिछले कुछ वर्षों में इन ईंधनों पर दी गई भारी सब्सिडी के एवज में किये जा रहे भुगतान के कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं.

उनका तो यह भी कहना था कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई थी. उस वक्त सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिये कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड जारी किए थे. उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकल गये थे.

इसके जवाब में अजय माकन का कहना था कि- केंद्र की सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने तेल बॉन्ड पर 73,440 करोड़ रुपये खर्च किये, जबकि गत सात वर्षों में उसने पेट्रोलियम उत्पादों पर कर के जरिये 22.34 लाख करोड़ रुपये वसूले हैं, जबकि तेल बॉन्ड पर खर्च इस कर संग्रह का केवल 3.2 प्रतिशत था.

खैर, जनता को इससे मतलब नहीं है, जनता का तो सीधा सवाल यह है कि.... विभिन्न गैर-जरूरी प्रोजेक्ट पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है और कुछ हजार करोड़ के भूगतान के लिए लाखों करोड़ जनता से बेरहमी से वसूले जा रहे हैं, क्यों?

सियासी सयानों का कहना है कि मोदी सरकार को पेट्रोल-डीजल से आय-व्यय की संपूर्ण जानकारी देनी चाहिए कि कितना पैसा वसूला गया, कितना लाभ सरकार को हुआ? कितना उद्योगपतियों को हुआ? कितना खर्च किस मद में किया गया?

आपको क्या लगता है, क्या मोदी सरकार कभी ऐसा करेगी?

शायद, कभी नहीं!

https://twitter.com/SupriyaShrinate/status/1427650135794675712

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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