नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने रेलवे के निजीकरण के लिए 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री ट्रेनों, 15 रेलवे स्टेडियम, कई रेलवे कालोनियों की पहचान कर लिए जाने का एलान किया है. इसके साथ ही सरकार ने कोंकण और कुछ अन्य पहाड़ी इलाक़ों की रेलों का निजीकरण करने का एलान किया है.
निजीकरण से क्या मतलब समझा जाए
सरकार सावधानी बरतते हुए अपने किसी भी एलान में निजीकरण शब्द का प्रयोग न करते हुए इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप कहती है. सरकार के अनुसार रेलवे की ख़ाली पड़ी ज़मीनों, कालोनियों, स्टेडियम और ट्रेनों को निजी हाथों में डेवलपमेंट के लिए दिया जाएगा. इससे प्राईवेट पार्टनर निवेश करेंगे और बीस वर्ष से ले कर नब्बे वर्ष तक वो अपना मुनाफ़ा कमाएँगे. लेकिन मालिकाना हक़ सरकार का ही बना रहेगा. इससे रेलवे का तेज़ी से विकास सम्भव हो सकेगा. इस मामले में सरकार का प्रिय शब्द मॉनेटाईजेशन है जिसे वो निजीकरण की जगह इस्तेमाल करना पसंद करती है.
पहाड़ी इलाक़ों की इन मशहूर ट्रेनों का भी होगा निजीकरण
सरकार ने जिन पहाड़ी ट्रेनों के निजीकरण की बात की है वो दरअसल खूबसूरत इलाक़ों में चलने वाली वो ट्रेनें हैं जो एक सदी से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही हैं. इनमें कालका-शिमला रेलवे, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे और माथेरन हिल रेलवे शामिल हैं.
इन रेलवे स्टेशनों का भी होगा कायाकल्प
वित्तमंत्री ने जिन 400 रेलवे स्टेशनों के मॉनेटाईजेशन की बात कही है उनमें गांधीनगर रेलवे स्टेशन को पीपीपी मॉडल पर डेवलप किया जा चुका है. इसमें रेलवे पटरियों के ऊपर ही एक शानदार फ़ाईव स्टार होटल भी बनाया गया है. इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री पहले ही कर चुके हैं. इसके अलावा भोपाल का हबीब गंज रेलवे स्टेशन भी निजी निवेश से आधुनिक ढंग से बन कर तैयार है. अन्य रेलवे स्टेशनों में कुछ चुनिंदा रेलवे स्टेशन ये हैं, जिनका कायाकल्प निजी निवेश से होना है-
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन
आनंद विहार रेलवे स्टेशन
सीएसटी मुंबई
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन
बैंग्लोर रेलवे स्टेशन
ग्वालियर रेलवे स्टेशन
अमृतसर रेलवे स्टेशन
सफ़दरजंग रेलवे स्टेशन, दिल्ली
नागपुर रेलवे स्टेशन
गोरखपुर रेलवे स्टेशन
आरएलडीए ने 15 रेलवे स्टेडियम के लिए प्राइवेट पार्टनर खोजने का काम शुरू कर दिया है. रेलवे के 15 स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्लेक्स जल्द ही कमर्सियल कॉम्पेक्स में बदलने का काम शुरू होगा. इसके लिए रेलवे बोर्ड ने एक स्टडी करने का आदेश जारी किया गया है. यह स्टडी रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी कर रही है.
दिल्ली रेलवे स्टेडियम को प्राईवेट हाथों में देने का काम शुरू हो चुका है
राजधानी के नई दिल्ली रेलवे स्टेडियम को रिडेवलप करने का काम भी आरएलडीए को सौंपा गया है, इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. इसके दायरे में कनॉट प्लेस के कऱीब मौजूद रेलवे का करनैल सिंह स्टेडियम भी है. यहां अब शॉपिंग कंपलेक्स, रिटेल मार्केट, होटल और रेस्टोरेंट जैसी कई चीज़ें बनाई जाएंगीं.
15 स्टेडियम की लिस्ट
स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, डीएलडब्लू वाराणसी
मुंबई के परेल में मौजूद इंडोर स्टेडियम और क्रिकेट ग्राउंड
पटना का इंडोर स्टेडियम स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स
चेन्नई बेहाला
कोलकाता का रेलवे स्टेडियम स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स
रायबरेली स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स
मालिगांव, गुवाहाटी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स
कपूरथला
येलाहंका, बंगलुरू का क्रिकेट स्टेडियम स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स
सिकंदाराबाद
मुंबई का महालक्ष्मी का स्टेडियम,
राँची का हॉकी स्टेडियम
लखनऊ क्रिकेट स्टेडियम और
गोरखपुर स्टेडियम शामिल हैं.
करनैल सिंह स्टेडियम, दिल्ली
पहले ही हो चुकी है 150 ट्रेनों को प्राईवेट हाथों में देने की घोषणा
वित्त मंत्री ने ये साफ़ नहीं किया है कि क्या ये 90 ट्रेनें प्राईवेट हाथों में सौंपे जाने के लिए पहले से ही घोषित 150 ट्रेनों के अलावा होंगी या अब 150 ट्रेनों के लक्ष्य को घटा दिया गया है. दरअसल पहले घोषित 150 ट्रेनों के लिए रेलवे को प्राईवेट पार्टनर खोजने में बहुत मुश्किल आ रही है. बहुत कम प्राईवेट कम्पनियों ने रेलवे के प्रस्ताव में इंट्रेस्ट दिखाया है.
रेलवे का फेडरेशन एआईआरएफ नाराज़ है
प्राईवेट ट्रेनों को लेकर रेलवे यूनियनों ने पहले ही रेल मंत्री से मिलकर अपनी नाराजग़ी जताई थी. अब वित्त मंत्री के इस नए एलान के बाद, रेलवे के इस कदम पर रेल कर्मियों ने नाराजग़ी ज़ाहिर की है. रेलवे यूनियन का आरोप है कि इन स्टेडियम से कई खिलाड़ी निकले हैं. भारत राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर रेलवे के कई खिलाडिय़ों ने ख्याती दिलाई है, जिनमें पीटी उषा से लेकर क्रिकेटर महेद्र सिंह धोनी और रेसलर सुशील कुमार तक शामिल हैं.
इस मामले में आल इंडिया रेलवे मेन फ़ेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्र ने कहा कि संसद में जितनी तालियां रेलवे के लिए इन खिलाडिय़ों ने दिलवाई हैं, उतनी किसी बिल से नहीं मिली हैं. ओलंपिक खेलों से लेकर कॉमनवेल्थ खेलों और वर्ल्ड कप तक में रेलवे के खिलाडिय़ों ने देश का नाम आगे बढ़ाया है. ये उनके शुरुआती कैरियर के प्रैक्टिस की जगह है, रेल कर्मियों के मॉर्निग वॉक और कसरत की जगह है, हम किसी भी हालत में ये स्टेडियम बिकने नहीं देंगे. फिलहाल इन 15 जगहों पर कमर्सियल कॉम्पलेक्स बनाने के लिए फिलहाल स्टडी करने को कहा गया है, लेकिन इस मुद्दे पर रेलवे और यूनियन आपने-सामने हो गये हैं.
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