ज्योतिषशास्त्र के अनुसार प्रथम विवाह का स्थान कुण्डली का "सातवां भाव "होता है , यदि इस भाव में सूर्य ग्रह बैठा हो, या राहु , जातक को नित्य दांपत्य कलेश का सामना और अंत में तलाक होता है. शुक्र ग्रह सप्तम भावगत हो अथवा वहा अलगाववादी ग्रहो की दृस्टि हो तो दांपत्य रिश्ते में दरार आती है.उनकी पहली शादी सुखद नहीं रहती है और पति-पत्नी में अलगाव की संभावना बढ़ जाती है.
दूसरी शादी का घर कालपुरुष की कुंडली में पीड़ित होता है. जिन जातक की कुण्डली में यह भाव शुभ होता है वहा नीच नवांश का नहीं हो भाग्य भाव पर शुभ ग्रहों की दृस्टि हो उनकी दूसरी शादी होकर विवाह सुखद और सफल होता है.
हस्त रेखा विज्ञान की कुछ थोड़ी बहुत जानकारी अनुसार हथेली के बुध पर्वत पर रेखाएँ जितनी अधिक होती हैं व्यक्ति की उतनी ही शादियां भी होती हैं, आधी अधूरी रेखा सगाई टूटने का इशारा करती है.
रिश्ता टूटने के कारण :-
*जलन आपस की
*फीलिंग्स जाहिर ना करना
*छोटी बातों को बड़ा ना बनाएं
*एक्स को लेकर लड़ाई
*पैसा का लालच
*घरवालों की घुसपैठ
*आधुनिक जीवन शैली
*पिछले जन्म के कर्म
*धोखा देना
* विवाह मध्यस्थ झूठा
Astro nirmal
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कुंडली के अनुसार सभी 12 भावों का अपना-अपना विशेष कारकत्व
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