नई दिल्ली. अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी है. इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को चुनौती देने के लिए बेहद खास रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. कहा जा रहा है कि इस बार अरविंद केजरीवाल की पार्टी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की तैयारी कर रहे हैं. इसी के तहत AAP उत्तर प्रदेश में तिरंगा यात्रा निकालने की तैयारी कर रही है. 14 सितंबर को एक तिरंगा यात्रा रामलला के जन्मस्थान अयोध्या में भी निकाली जाएगी. खास बात यह है कि यात्रा के दौरान कार्यकर्ता राम मंदिर के सामने भी रुकेंगे.
इस तिरंगा यात्रा की अगुवाई दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्य सभा के सांसद संजय सिंह करेंगे. बता दें कि हाल ही दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. आप नेताओं ने कहा है कि इस यात्रा का संदेश है पार्टी की हिंदू पहचान, धर्म और राष्ट्रवाद को अलग तरीके से रखना. बता दें कि आप उत्तर प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में है. उत्तराखंड में पार्टी ने भारतीय सेना के पूर्व कर्नल अजय कोठियाल को अपने मुख्यमंत्री के तौर पर उतारने का ऐलान किया है. साथ ही पार्टी ने वादा किया है कि इस पहाड़ी राज्य को हिंदुओं के लिए आध्यात्मिक राजधानी बनाई जाएगी.
तिरंगा यात्रा अयोध्या के अलावा आगरा और नोएडा में भी निकाली जाएगी. मनीष सिसोदिया को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है. उधर दिल्ली में पार्टी 500 तिरंगा झंडा तैयार कर रही है. इस पर करीब 85 करोड़ का खर्चा आया है. इसे पूरे शहर में लगाया जाएगा. मनीष सिसोदिया ने कहा, पार्टी भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मनाने के लिए अगले एक वर्ष में कई कार्यक्रमों का आयोजन करेगी. संदेश साफ है- भाजपा का तथाकथित राष्ट्रवाद भारत को बीमार कर रहा है. आप का मानना है कि राष्ट्रवाद लोगों को उनके अधिकार प्रदान करने के बारे में है. चाहे वह अच्छी शिक्षा हो या मजबूत स्वास्थ्य सेवा. हमारे लिए तिरंगे के प्रति प्रेम देश के लिए एक दृष्टि, उसके विकास और अपने नागरिकों की भलाई के रूप में प्रकट होता है. यह हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे कि बेरोजगारी का समाधान खोजने के बारे में है.
आप ने ऐलान किया है कि वो यूपी चुनाव लड़ेगी. जुलाई में संजय सिंह ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. इसके बाद से कहा जा रहा है कि सीट-बंटवारे की बातचीत शुरू हो गई है. आप के एक नेता ने कहा, ‘हम लंबे समय से यूपी में हैं. देश के पूर्व और दक्षिण में क्षेत्रीय दलों के विपरीत, हिंदी भाषी नेताओं और दिल्ली में आधार वाली पार्टी हिंदी भाषी क्षेत्र में कोई उपस्थिति नहीं रख सकती है. और ये साफ है कि AAP ने शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र शासन पर अपने काम के माध्यम से लोगों के मन में जगह बनाई है. लेकिन काम की राजनीति को राष्ट्रवाद और धार्मिकता की हमारी परिभाषा के साथ जोड़ना होगा जिसमें दूसरों से नफरत या चोट करना शामिल नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-उत्तर प्रदेश के आगरा में बर्थडे पार्टी के दौरान भरभराकर गिरी छत, 2 की मौत और 15 घायल
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