कोरोना के कारण श्रीलंका में खाद्य कीमतों में भारी तेजी ,आर्थिक आपातकाल लागु

कोरोना के कारण श्रीलंका में खाद्य कीमतों में भारी तेजी ,आर्थिक आपातकाल लागु

प्रेषित समय :07:10:00 AM / Fri, Sep 3rd, 2021

कोलंबो. कोरोना काल में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी है. देश की मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट आ गई है, जिसके कारण खाद्य कीमतों में भारी तेजी आ गई है.

हालात ये हैं कि श्रीलंका में चीनी, चावल, प्याज और आलू की कीमतें आसमान छू रही हैं. दूध पाउडर, मिट्टी के तेल और रसोई गैस की कमी हो जाने के चलते दुकानों के बाहर लंबी कतारें लग रही हैं. इसके लिए जमाखोरी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और व्यापारियों पर उंगलियां उठ रही हैं. इसकी वजह से बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए आर्थिक आपातकाल लगाया गया है. यह आदेश मंगलवार आधी रात से ही प्रभावी हो चुका है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर आर्थिक आपातकाल होता क्या है, इसमें क्या होता है, आइए जानते हैं आपके सभी सवालों के जवाब.

श्रीलंका में आर्थिक आपातकाल घोषित होने के बाद अब क्या होगा?

श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा है कि चावल और चीनी समेत जरूरी चीजों की जमाखोरी को रोकने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा की गई है. सरकार ने एक पूर्व सेना जनरल को आवश्यक सेवाओं के आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है. इस आयुक्त के पास व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं के पास जमा किए गए खाद्य स्टॉक को जब्त करने और उनकी कीमतों को रेगुलेट करने की ताकत होगी.

क्या होता है आर्थिक आपातकाल?

किसी भी देश के राष्ट्रपति की तरफ से धारा 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा तब की जाती है, जब उन्हें ऐसा लगता है कि देश में भारी आर्थिक संकट पैदा हो चुका है. यह सख्त कदम तब उठाया जाता है जब लगता है कि इस आर्थिक संकट के चलते देश के वित्तीय स्थायित्व को खतरा हो सकता है. कोई भी सरकार इतना सख्त कदम उठाने को तब मजबूर हो जाती है जब आर्थिक स्थिति बदतर होने की वजह से सरकार दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाती है.

कितने तरह के होते हैं आपातकाल?

जब आर्थिक आपातकाल की बात हो रही है तो एक सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर आपातकाल कितने तरह के होते हैं. ये 2 तरह के होते हैं. पहला आर्थिक आपातकाल, जिसके बारे में आप जान ही चुके हैं. दूसरा होता है राष्ट्रीय आपतकाल, जिसे तब लगाया जाता है जब युद्ध के हालात हो जाते हैं या फिर विद्रोह बहुत अधिक बढ़ जाता है. इंदिरा गांधी ने 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल लगया था.

क्‍या भारत में कभी लगा है आर्थिक आपातकाल?

भारत में राष्ट्रीय आपातकाल और राष्ट्रपति शासन का इस्तेमाल तो इंदिरा गांधी के शासनकाल में हो चुका है, लेकिन आर्थिक आपातकाल लगाने की नौबत कभी नहीं आई. कोरोना काल में शुरुआती दौर में आर्थिक आपातकाल लागू किए जाने की बातें हो रही थीं लेकिन वह सिर्फ बातें ही थीं और उन पर गंभीरता से कोई विचार नहीं किया जा रहा था.

आर्थिक आपातकाल लागू होने पर क्या होता है?

अगर किसी देश में आर्थिक आपातकाल लागू हो जाता है तो सभी कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों में कटौती की जाने लगती है. यह कटौती कितनी होगी, ये भी सरकार ही तय करती है. कोरोना काल में भी भारत में बहुत सारे सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटी गई थी, जिसे लोग आर्थिक आपातकाल कहने लगे थे, लेकिन ऐसा नहीं है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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