मुंबई. शिवसेना ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद की तुलना तालिबान से करने के लिए गीतकार जावेद अख्तर की जमकर आलोचना की है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में अख्तर पर निशाना साधते हुए लिखा है कि इस तरह की तुलना ‘हिंदू संस्कृति के लिए अपमानजनक’ है. साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी ने उन्हें इस तरह की तुलना करने पर आत्ममंथन करने के लिए कहा है. बता दें कि अख्तर ने पिछले दिनों कहा था कि आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल जैसे संगठनों और तालिबान के लक्ष्य में कोई अंतर नहीं है.
सामना में शिवसेना ने लिखा है, आज कल हमारे देश में कोई भी किसी को तालिबानी कह रहा है. क्योंकि अफगानिस्तान का तालिबानी शासन मतलब समाज व मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा है. पाकिस्तान, चीन जैसे राष्ट्रों ने तालिबानी शासन का समर्थन किया है, क्योंकि इन दोनों देशों में मानवाधिकार, लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का कोई मोल नहीं बचा है. हिंदुस्तान की मानसिकता वैसी नहीं दिख रही है. हम हर तरह से जबरदस्त सहिष्णु हैं. इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना तालिबान से करना उचित नहीं है.
शिवसेना के मुताबिक जो लोग भी ऐसा कर रहे हैं वो हिंदू संस्कृति का अपमान है. सामना में जावेद अख्तर को नसीहत देते हुए लिखा है, हिंदुत्व के नाम पर किसी तरह का उन्माद यहां स्वीकार नहीं है. ईरान में खुमैनी का शासन था और अब अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आई है. इन दोनों शासनों से हिंदुत्व का संबंध जोड़ना हिंदू संस्कृति का अपमान है. शिवसेना अथवा संघ का हिंदुत्व व्यापक है. वह सर्वसमावेशक है. उसमें मानवाधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, महिलाओं के अधिकार, ऐसे प्रगतिशील विचार शामिल हैं. संघ अथवा शिवसेना तालिबानी विचारोंवाली होती तो इस देश में तीन तलाक के खिलाफ कानून नहीं बना होता व लाखों मुस्लिम महिलाओं को आजादी की किरण नहीं दिखी होती.
सामना में पार्टी ने जावेद अख्तर पर तीखा हमले करते हुए लिखा है कि उन्हें अपने बयान पर सोचने की जरूरत है. लिखा है, ‘तालिबान का कृत्य बर्बर होने के कारण निंदनीय है. उसी तरह से आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल का समर्थन करनेवालों की मानसिकता तालिबानी प्रवृत्तिवाली है. इस विचारधारा का समर्थन करने वाले लोगों को आत्मपरीक्षण करने की जरूरत है.’
शिवसेना के मुताबिक संघ और तालिबान जैसे संगठनों के ध्येय में कोई अंतर नहीं होने की उनकी बात पूरी तरह से गलत है. संघ की भूमिका और उनके विचारों से मतभेद हो सकते हैं और ये मतभेद जावेद अख्तर बार-बार व्यक्त करते हैं. उनकी विचारधारा धर्मनिरपेक्ष है इसलिए ‘हिंदू राष्ट्र’ की संकल्पना का समर्थन करनेवाले तालिबानी मानसिकता वाले हैं, ऐसा वैसे कहा जा सकता है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-महाराष्ट्र टीईटी के लिए रजिस्ट्रेशन की डेट आगे बढ़ी, ऐसे करें अप्लाई
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