पल-पल इंडिया ने पहले ही कहा था- पीएम नरेंद्र मोदी का समय बदल रहा है! सियासी समस्याएं बढेंगी?

पल-पल इंडिया ने पहले ही कहा था- पीएम नरेंद्र मोदी का समय बदल रहा है! सियासी समस्याएं बढेंगी?

प्रेषित समय :21:58:56 PM / Mon, Sep 6th, 2021

प्रदीप द्विवेदी (ऐस्ट्रो पॉलिटिकल एनालिसिस). पिछले वर्ष 2020 के पूर्वार्ध में जब पीएम नरेंद्र मोदी के सितारे बुलंद थे, तब किसी ने सोचा नहीं होगा कि समय इतनी तेजी से बदलेगा? तब 21 अगस्त 2020 को- कैसे रहेंगे अगले पांच साल? पीएम मोदी के लिए 2023 तक महत्वपूर्ण फैसले लेना लाभदायक! में लिखा था- अगले पांच साल पीएम नरेंद्र मोदी के लिए अगर मुश्किल नहीं हैं, तो सियासी तौर पर सुविधाजनक भी नहीं रहेंगे. उनकी सियासी पकड़ भले ही बनी रहेगी, लेकिन लोकप्रियता का ग्राफ अपेक्षाकृत उतार पर रहेगा. वर्ष 2020 के उतरार्ध से सियासी समय उतना सहयोगी नहीं रहेगा, तो 2021 के उतरार्ध से बड़े बदलाव आना शुरू हो जाएंगे. इसके बाद मिले जुले फल मिलेंगे. लिहाज, इच्छाओं के विपरीत परिणाम भी संभव हैं!

इसी तरह,  29 अगस्त 2020 को-  दबे पांव तेजी से बढ़ रही हैं आर्थिक चुनौतियां, लेकिन.... में लिखा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आनेवाले समय में बड़ी आर्थिक चुनौतियों का मुकाबला करना होगा, क्योंकि उनकी प्रचलित कुंडली के वर्षफल 2020-21 पर भरोसा करें तो वह इसी ओर इशारा कर रहा है, लेकिन शनि का साथ थोड़ा बचाव भी करेगा, लिहाजा नाकामयाबी के सापेक्ष लोकप्रियता उतनी कम नहीं होगी.

पीएम मोदी को जीवन अच्छे अवसर देता रहा है, परन्तु एक साथ कई कार्य करने के कारण बेहतर प्रयासों के बावजूद कोशिशों के सापेक्ष कामयाबी नहीं मिली है.

यही नहीं, स्वयं, क्षमता से अधिक कार्य करना और दूसरों के काम पर भरोसा नहीं करना, ये दो ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से काम का परिमाण तो विशाल नजर आता है, लेकिन परिणाम अपेक्षाकृत बहुत कम मिलता है.

अब उन्हें, सेहत और थकान पर भी फोकस करना होगा, वरना माइग्रेन, एपोप्लेक्सी जैसी परेशानियां उभर सकती हैं.

पीएम मोदी की प्रचलित कुंडली कहती है कि उनका चन्द्र अंदर के भाव को दबने नहीं देता और चेहरे पर प्रतिक्रिया नजर आने लगती है. इतना ही नहीं, वे तत्काल बोलते भले ही ना हों, किन्तु बाद में यह प्रतिक्रिया उनके व्यवहार में भी झलकने लगती है.

वर्ष 2020-21 पर नजर डाले तो तीन बड़े सवाल हैं.... आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां, प्रयास के सापेक्ष परिणाम नहीं मिलना और पद की सुरक्षा.

सितम्बर के उत्तरार्ध से नवम्बर 2020 के पूर्वार्ध के बीच लक्ष्य पर तो नजर रहेगी किन्तु जरूरत से ज्यादा विश्लेषण के कारण समय का उतना सदुपयोग नहीं कर पाएंगे. यदि इस दौरान स्वाभिमान, अभिमान में बदला तो, कुछ प्रमुख सहयोगी दूर हो सकते हैं.

नवम्बर के उतरार्ध से दिसम्बर 2020 तक एक बार फिर कामकाज पटरी पर आएगा, आत्मविश्वास भी बढ़ेगा, किन्तु सेहत को लेकर सतर्क रहना होगा.

जनवरी-फरवरी 2021 में पीएम मोदी फिर विरोधियों के निशाने पर आ जाएंगे, सच्चे-झूठे आरोप भी लग सकते हैं, इन हालातों में उनका झुकाव आध्यात्म की ओर भी बढ़ सकता है. सेहत को नजरअंदाज करना परेशानी का सबब बन सकता है.

मार्च माह और अप्रैल 2021 का पूर्वार्ध सियासी तनाव बढ़ाने वाला रहेगा, तो आर्थिक मामलों में सोच-समझ कर निर्णय लेने होंगे, वरना फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है.

अप्रैल के उत्तरार्ध और मई 2021 के पूर्वार्ध में उम्मीदें तो बहुत नजर आएंगी, किन्तु परिणाम संतोषजनक नहीं रहेंगे. अलबत्ता, इस दौरान प्रचार-प्रसार का लाभ मिलेगा.

मई के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई 2021 के पहले सप्ताह के बीच राहतवाली खबरें मिलेंगी, बड़े कारोबारियों का सहयोग-समर्थन मिलेगा, तो विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकलने का रास्ता भी नजर आएगा.

जुलाई 2021 के उत्तरार्ध में परेशान करने वाली खबरें मिल सकती हैं, परन्तु जल्दबाजी में कोई निर्णय करना ठीक नहीं होगा. कभी-कभी खामोशी सियासी रिश्ते टूटने से बचा लेती है.

अगस्त 2021 में आर्थिक मोर्चे पर कुछ राहत मिलेगी, सहयोगियों का समर्थन मिलेगा, तो कुछ मन के काम पूरे होंगे. इस दौरान यात्राएं भी संभव हैं.

सितम्बर 2021 का पूर्वार्ध कई कारणों से बेचैन कर सकता है. विरोधी सियासी हमले कर सकते हैं, तो सहयोगियों का भी पर्याप्त समर्थन हांसिल करना थोड़ा मुश्किल रहेगा.

इसके बाद समय और भी बदलने वाला है, लिहाजा सियासी मोर्चे पर ज्यादा सतर्कता की जरूरत रहेगी!

कैसे रहेंगे अगले पांच साल? 21 अगस्त 2020 को लिखा था कि.... पल-पल इंडिया 30 जुलाई 2017 को लिखा था- सियासत के सितारे... सन् 2023 तक नरेन्द्र मोदी को केन्द्र की गद्दी से उतारना आसान नहीं!

यकीनन, सियासत के सितारों पर भरोसा करें तो वर्ष 2023 तक पीएम मोदी का भले ही विरोध किया जाए, लेकिन उन्हें केन्द्र की गद्दी से उतारना उतना आसान नहीं है, हालांकि वर्ष 2021 के उत्तरार्ध से ही राजनीतिक तस्वीर में बदलाव के संकेत मिलने शुरू हो जाएंगे.जाहिर है, अगले पांच साल पीएम नरेंद्र मोदी के लिए अगर मुश्किल नहीं हैं, तो सियासी तौर पर सुविधाजनक भी नहीं रहेंगे. उनकी सियासी पकड़ भले ही बनी रहेगी, लेकिन लोकप्रियता का ग्राफ अपेक्षाकृत उतार पर रहेगा.

सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद् दिवंगत पं. लक्ष्मीनारायण द्विवेदी कहते थे कि दशा राज करवाती है और विभिन्न राजनेताओं की कुंडलियों को देख कर इसे समझा भी किया जा सकता है.

आइए, देखते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की प्रचलित कुंडली की दशा, वर्षफल, गोचर सहित प्रश्न कुंडली उनके अगले पांच वर्षों के लिए क्या कहती है?

इन वर्षों में हर काम को सलीके से करने की प्रबल इच्छाशक्ति रहेगी और आत्मविश्वास भी बना रहेगा, तो उत्साहवर्धक परिणाम भी मिल पाएंगे, मतलब- अब तक पीएम मोदी के खाते में कोई सर्वमान्य ऐतिहासिक निर्णय दर्ज नहीं है और यह समय सबसे प्रबल समय है अतः इस समय के दौरान यदि कोई बड़ा और सर्वमान्य महत्वपूर्ण निर्णय वे कर पाए, तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटलबिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं की तरह हमेशा याद किए जाएंगे.

वर्ष 2020 के उतरार्ध से सियासी समय उतना सहयोगी नहीं रहेगा, तो 2021 के उतरार्ध से बड़े बदलाव आना शुरू हो जाएंगे. इसके बाद मिले जुले फल मिलेंगे. लिहाज, इच्छाओं के विपरीत परिणाम भी संभव हैं.

जीवन-मरण का पक्का हिसाब तो उपरवाले के हाथ है, लेकिन घात के समय में सतर्क रहना इंसान के लिए संभव है.

वर्ष 2020 के उतरार्ध से आर्थिक जिम्मेदारियां बढ़ेंगी और इनसे पार पाना बड़ी चुनौती रहेगी. परिश्रम का अपेक्षित परिणाम मिलना आसान नहीं रहेगा.

वर्ष 2021 के उत्तरार्ध से मिले जुले परिणाम मिलेंगे, लेकिन कई बेहतर अवसर भी आएंगे. इसके बाद वर्ष 2022 के मध्य तक का समय बेहतर है, जो महत्वपूर्ण काम हों, इस समय में पूरे कर लिए जाएं तो अच्छा होगा.

वर्ष 2022 के उत्तरार्ध से समय फिर करवट लेगा और विरोधियों से चुनौतियां मिलने लगेंगी, सियासी संग्राम में भाग्य की ढाल हटने के कारण केवल कर्म की तलवार ही काम आएगी.

वर्ष 2023 के उतरार्ध से विरोधियों के संयुक्त सियासी हमले बढ़ जाएंगे. यही नहीं, अपनी और अपनो की सेहत के मोर्चे पर भी ध्यान देना होगा. कार्यस्थल पर विरोधियों को प्रशासनिक सहयोग मिलने की वजह से परेशानी संभव है.

वर्ष 2024 के उतरार्ध से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. हो सकता है, समय साथ न दे, लेकिन, क्योंकि कुंडली का आधार प्रबल है, इसलिए बड़े नुकसान से बच सकते हैं!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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