प्रदीप द्विवेदी ( @PalpalIndia ). तीनों कृषि कानूनों में चाहे जो बदलाव करवा लो, लेकिन रद्द नहीं होंगे! बड़ा सवाल यह है कि मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द क्यों नहीं करना चाहती है?
दरअसल, मोदी सरकार ने बड़ी मुश्किल से सियासी जुगाड़ के दम पर ये कृषि कानून बनाए हैं, जाहिर है यदि ये रद्द हो गए, तो दोबारा नहीं बन पाएंगे!
यही नहीं, यदि कानून में सबकुछ बदल भी गया, लेकिन कानून बने रहे, तो इसमें मनमर्जी के संशोधन तो फिर कभी भी हो जाएंगे, इसलिए मोदी सरकार कानून में संशोधन के लिए तो तैयार है, लेकिन कानून समाप्त नहीं करना चाहती है?
मोदी सरकार चाहती है कि किसान कृषि कानूनों में संशोधन के लिए मान जाएं और काूनन रद्द करने की मांग छोड़ दें, ताकि एक बार किसान आंदोलन कैसे भी खत्म हो जाए, फिर नए सिरे से तो किसान आंदोलन खड़ा करना आसान नहीं होगा!
खबर है कि कृषि कानूनों के विरोध में नौ महीने से किसान दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं, अब इस आंदोलन को और असरदार बनाने के लिए किसानों की ओर से रविवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में एक महापंचायत की जा रही है. इसे लेेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत @RakeshTikaitBKU का कहना है कि महापंचायत में एक बड़ा फैसला लिया जाएगा.
राकेश टिकैत ने दोहराया कि केंद्र सरकार को बीजेपी की सरकार न कह कर इसे मोदी सरकार कहा जाए तो बेहतर होगा.
मोदी सरकार ने जो तीन कृषि कानून बनाए हैं, वे किसानों के हक में नहीं हैं. ये कानून पूरी तरह से देश को विदेशी हाथों में सौंपने की तैयारी है.
उनका कहना है कि मोदी सरकार से कानूनों की वापसी की उम्मीद करना तो दूर की बात है, अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी कोई कदम नहीं उठाया है, लिहाजा अब किसानों को सत्ता परिवर्तन की लड़ाई लड़नी होगी. रविवार को होने वाली महापंचायत ऐतिहासिक होगी, जिसमें किसान आंदोलन को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया जाएगा?
किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया- मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर की @Kisanektamorcha द्वारा आयोजित किसान महापंचायत गांव ग्रामीण, किसान, मजदूर के हितों की रक्षा हेतु मील की पत्थर साबित होगी. यह पंचायत युवाओं को खेत की मिट्टी से जोड़ेंगी. मुजफ्फरनगर की ऐतिहासिक धरा पर आप अपनी उपस्थिति दर्ज करें!
सियासी सयानों का मानना है कि किसान तो जीत गया है, केवल मुहर लगनी बाकी है, क्योंकि किसान दिल्ली पहुंच गया है, तो आंदोलन की भावना और जरूरत गांव-गांव तक पहुंच गई है?
यह देखना दिलचस्प होगा कि किसान आंदोलन की कामयाबी पर मुहर मोदी सरकार लगाएगी या 2024 में मतदाता
किसान महापंचायत स्थल जीआईसी ग्राउंड मुजफ्फरनगर से लाइव
— Naresh Tikait (@NareshTikait) September 2, 2021
5 सितंबर चलो मुजफ्फरनगर#5septemberkisanpanchayatmuzaffarnagar #FarmersProtest pic.twitter.com/GgIhUz4g1q
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर की @Kisanektamorcha द्वारा आयोजित किसान महापंचायत गांव ग्रामीण - किसान मजदूर के हितों की रक्षा हेतु मील की पत्थर साबित होगी। यह पंचायत युवाओं को खेत की मिट्टी से जोड़ेंगी। मुजफ्फरनगर की ऐतिहासिक धरा पर आप अपनी उपस्थिति दर्ज करें।#FarmersProtest pic.twitter.com/DKp5q9vxps
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) September 2, 2021
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