नई दिल्ली. अरावली पर्वत की सुंदर वादियों के बीच मोहबताबाद गांव इस वक्त सुर्खियों में है. इसके सुर्खियों में आने की वजह यहां झरना है, जो 30 साल बाद फिर से फूट पड़ा है. इलाके में हुई अच्छी बारिश के चलते इस झरने को नई ज़िंदगी मिल गई है और ये अपने पुराने स्वरूप में लौट आया है.
झरना 30 साल पहले खनन और बारिश की कमी के चलते सूख गया था और लोगों का यहां आना-जाना भी बंद हो गया था. हालांकि अब झरना बारिश के पानी से गुलज़ार हो गया है और सैलानियों के लिए मनोरम दृश्य प्रस्तुत कर रहा है. लोगों का यहां आना-जाना पिछले 30 सालों बेहद कम हो गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे यहां लोग आने लगे हैं.
कहा जाता है कि जब पांडवों ने इंद्रप्रस्थ शहर को बसाया था, तो अरावली पर्वत पर अपनी तपस्या से अनेकों झरनों को प्रकट किया था. इन्हीं झरनों में से एक एक अरावली पर्वतमाला से निकला हुआ मोहबताबाद गांव का झरना भी है. बताते हैं कि ये जगह उदयालक मुनि की तपोभूमि भी है. यहां वो गुफा भी मौजूद है, जहां वे तपस्या किया करते थे. गुफा में विशाल शिला मौजूद है, जो बिना किसी के सहारे के रुकी हुई है. लोग इस जगह पर इस गुफा की पूजा करने के लिए ही आते हैं. पौराणिक महत्व वाली इस जगह को झरने के फिर से बहने के बाद आस-पास के लोगों ने आबाद करना शुरू कर दिया है.
पांडवों के द्वारा अवतरित किया गया ये झरना अब से 30 साल पहले तक पूरे साल लगातार बहता था. इसमें अरावली पर्वत पर 7 कुंड निर्मित थे. यहां से नीचे बने हुए एक कुंड में लोग स्नान करते थे. पिछले कुछ सालों से अत्यधिक खनन और कम बारिश के होने के चलते इसका प्राकृतिक स्रोत सूख गया था. हालांकि पिछले कुछ दिनों से अच्छी बारिश होने के बाद झरने की छटा बदल गई है. इस जगह का प्रताप भी धीरे-धीरे लौटने लगा है, क्योंकि लोगों का पूजा-पाठ के लिए आना-जाना भी बढ़ गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राहुल गांधी ने लगाए आरोप, बोले- चीन ने लद्दाख में दिल्ली के बराबर भूखंड पर किया कब्जा
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