पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य की शिवराजसिंह चौहान सरकार को आदेश दिए है कि कमेटी बनाकर तीन माह में सभी नर्सिंग होमों की जांच कराएं. कमेटी जांच रिपोर्ट कोर्ट के साथ साथ याचिकाकर्ता को देगी, इसके बाद भी याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं हुआ तो उसे नए सिरे से याचिका लगाना होगी. कमेटी नियम के अनुसार निजी अस्पतालों की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी कि 13 सालों में कितना सुधार आया है, इसी के साथ क ोर्ट ने याचिका निराकृत की है.
निजी नर्सिंग होम के लिए वर्ष 1973 में एक्ट बना, 2006 में संशोधन कर नियम तय किए गए, इसमें नर्सिंग होम के संचालन के लिए एक मानक तय किए थे. प्रदेश के निजी नर्सिंग होमों में रूल्स तय नहीं करने पर 2008 में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने जनहित याचिका लगाई, जिसमें कहा गया था कि प्रदेश में संचालित निजी नर्सिंग होमों में प्रशिक्षित डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ का अभाव है. आईसीयू, बेड आदि के लिए पर्याप्त मानक की जगह नहीं है. समय-समय पर हाईकोर्ट ने दो बार अंतरिम आदेश भी जारी किया था. 13 साल पहले की इस लंबित याचिका पर आज हाईकोर्ट में जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और वीरेंद्र सिंह की डबल बेंच में सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि 13 सालों में अस्पतालों में कई तरह के सुधार हो चुके होंगे. क्या अब भी इस याचिका का औचित्य बना हुआ है.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव ने पक्ष रखते हुए बताया कि आज भी निजी नर्सिंग होमों में रूल्स के अनुसार विशेषज्ञ डॉक्टरों, पैरामेडिकल सहित अन्य मानकों का पालन नहीं हो रहा है. स्वयं निजी निर्संग होम एसोसिएशन की ओर से लिखित रूप से जवाब पेश किया गया है कि ये संभव नहीं है. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को कमेटी गठित कर तीन महीने के अंदर रिपोर्ट देने का आदेश देते हुए याचिका को निराकृत कर दिया. याचिकाकर्ता को कहा है कि यदि वह इस कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह नई याचिका के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है. याचिका में कहा गया कि 2006 रूल्स के अनुसार निजी नर्सिंग होम में एक बेड के लिए 75 वर्गफीट की जमीन होनी चाहिए. मतलब 750 वर्गफीट के हाल में 10 बेड से अधिक नहीं हो सकते हैं. इसी तरह एलोपैथी के क्वालीफाई डॉक्टर, नर्स तैनात होने चाहिए. इमरजेंसी में क्वालीफाई डॉक्टर की उपलब्धता सुनिश्चित हो. रात में भी एलोपैथी के क्वालीफाई डॉक्टर मौजूद रहें. मरीजों से संबंधी सारे रिकॉर्ड होने चाहिए. अस्पताल में मौजूद जांच और इलाज की दर डिस्प्ले होना चाहिए. अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव के मुताबिक कोविड में निजी अस्पतालों की हकीकत सामने आ गई, आज भी इन सारे मानकों का पालन नही किया जा रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्यप्रदेश में केंद्रीय मंत्रियों की आशीर्वाद यात्राओं की शुरुआत आज से
मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय जबलपुर में पीए के पदों पर भर्ती, स्नातक पास करें आवेदन
मध्यप्रदेश में मानसून सक्रिय, 20 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट
एमपी हाईकोर्ट के निर्देश: मध्यप्रदेश को हर माह वैक्सीन के 1.50 करोड़ डोज उपलब्ध कराए केन्द्र
मध्यप्रदेश में दो चरणों में होगे नगरीय निकाय, तीन चरणों में होगें पंचायत चुनाव, देखें वीडियो
मध्यप्रदेश में ऑनलाइन पढ़ाई बंद हो सकती है: 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोलने, पूरी फीस पर अड़े संचालक
Leave a Reply