ऐतिहासिक स्वर्णिम विजय मशाल को सेना के जीओसी ले. जनरल ने पमरे जीएम के हाथों में सौंपी, जबलपुर स्टेशन से मदनमहल तक ट्रेन के सफर को यादगार बनाया

ऐतिहासिक स्वर्णिम विजय मशाल को सेना के जीओसी ले. जनरल ने पमरे जीएम के हाथों में सौंपी, जबलपुर स्टेशन से मदनमहल तक ट्रेन के सफर को यादगार बनाया

प्रेषित समय :18:27:58 PM / Mon, Oct 11th, 2021

जबलपुर. पूरा भारतवर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. गौरतलब है कि वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की ऐतिहासिक विजय के स्वर्णिम 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर को स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. इसे प्रति वर्ष 16 दिसंबर को  विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. इस 50वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में भारतीय सेना द्वारा 16 दिसंबर 2020 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक अमर ज्योति नई दिल्ली से स्वर्णिम विजय मशाल को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था. इस स्वर्णिम विजय मशाल को देश के चारों दिशाओं में भारत की जीत और देश के सेना एवं सशस्त्र बलों द्वारा किए गए बलिदानों के संदेश को सम्मान के लिए भेजा गया है. देश भर में यह यात्रा पूरी करने के बाद विजय मशाल 16 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में वापस पहुँचेगी. इस विजय मशाल की गाथा इतिहास के पन्नों पर भारतीय सेनाओं की शहादत को विजय दिवस के रूप मे मनाया जाता है.

यह युद्ध सन 1971 में 03 दिसंबर से प्रारम्भ हुआ था और 16 दिसंबर 1971 को ऐतिहासिक विजय के साथ समाप्त हुआ था. 1971 के युद्ध के दौरान जनरल मानेकशॉ भारतीय सेना के प्रमुख थे. इस जंग में लगभग 3900 भारतीय जवान शहीद हुये और 9851 जवान घायल हुए.13 दिनों तक चले इस युद्ध मे भारतीय सैनिकों के सामने 9300 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था. भारतीय सैनिकों की जीत के बाद ही बांग्लादेश का जन्म हुआ जो पहले पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा था. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत के सैन्य अभियान और देश की संप्रभुता की रक्षा में भारतीय सेना के जवानों के निस्वार्थ बलिदान और समर्पण के युग में स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया जा रहा है. स्वर्ण विजय वर्ष के माध्यम से लोगों को भारतीय सेना की उपलब्धियों के बारे में अवगत कराया जा रहा है.

वर्ष 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध मे भारतीय रेलवे ने भी अतुलनीय योगदान दिया था. रेलवे ने सुरक्षा बलों और उपकरणों की आवाजाही के लिए 2000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाई. युद्ध की समाप्ति के बाद युद्धबंदियों और शरणार्थियों को स्थानांतरित करने के लिए रेलवे द्वारा तत्काल राहत प्रदान करते हुए 800 से अधिक विशेष रेलगाडिय़ों का संचालन किया था. रेल प्रशासन द्वारा किये गए विशाल कार्य में लगभग 9000 रेलकर्मियों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश की सेवा में योगदान दिया था. बांग्लादेश में रेलवे की संचार व्यवस्था पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी. हमारे रेल कर्मियों ने बांग्लादेश के रेल कर्मचारियों के सहयोग से बड़ी संख्या में पुलों और पटरियों की बहाली के लिए स्थाई मरम्मत के लिए सामग्री की आपूर्ति में पूरी मदद की गई. भारतीय रेलवे ने देश के प्रति अपनी कर्तब्यनिष्ठा का परिचय देते हुए कुछ ही हप्तों में रेल यातायात की बहाली सम्भव हुई.

इसी उपलक्ष्य में सोमवार 11 अक्टूबर को ऐतिहासिक स्वर्णिम विजय मशाल को साक्षी बनाने के लिए पश्चिम मध्य रेल जबलपुर को गौरव प्राप्त हुआ. इस  स्वर्णिम विजय मशाल को भारतीय सेना द्वारा पश्चिम मध्य रेल को ससम्मान सौंपी गई. इस ऐतिहासिक शुभ अवसर पर सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, मध्य भारत एरिया के लेफ्टिनेंट जनरल एस. मोहन, सेवा मेडल एवं विशेष सेवा मेडल द्वारा पश्चिम मध्य रेल, महाप्रबंधक सुधीर कुमार गुप्ता को सौंपी गई. इस अवसर पर सेना के कमांडेंट द ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट सेण्टर, ब्रिगेडियर राजीव चावला और रेलवे के अधिकारी प्रमुख मुख्य सुरक्षा आयुक्त प्रदीप गुप्ता, मण्डल रेल प्रबंधक जबलपुर संजय विश्वास के साथ अन्य अधिकारी उपस्थित रहे. कार्यक्रम के शुरुआत में स्वर्णिम विजय मशाल को रेलवे के आरपीएफ बैंड एवं रेल सुरक्षा बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत समारोह आयोजिय किया गया. कार्यक्रम के दौरान इस स्वर्णिम विजय मशाल के सम्मान में भारतीय सेना के अधिकारियों एवं रेलवे के अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय गान भी गाया गया. इस स्वर्णिम विजय मशाल को पश्चिम मध्य रेल द्वारा और ऐतिहासिक बनाने के लिए जबलपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 01 से मदनमहल स्टेशन तक ट्रेन  को सेना के अधिकारी और महाप्रबंधक द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. इस स्वर्णिम अवसर को सफल एवं यादगार बनाने के लिए पश्चिम मध्य रेल और सेना के द्वारा अहम भूमिका निभाई.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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