कमाल के शब्दबाण! कुत्ते की मौत पर शोक, लेकिन किसानों की मौत पर खामोशी, क्यों?

कमाल के शब्दबाण! कुत्ते की मौत पर शोक, लेकिन किसानों की मौत पर खामोशी, क्यों?

प्रेषित समय :21:35:26 PM / Tue, Oct 26th, 2021

प्रदीप द्विवेदी. सियासी जुगाड़ के बहुमत के दम पर लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन जारी है, लेकिन, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 अभी दूर हैं, लिहाजा पीएम नरेंद्र मोदी को तत्काल कोई सियासी खतरा नहीं है, इसीलिए किसान आंदोलन को वे लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं?

परन्तु, अब मोदी सरकार के लिए विरोध के स्वर विपक्ष के साथ-साथ अपनों की ओर से भी उठने लगे हैं, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मोदी सरकार पर शब्दबाण चलाते हुए कहना है कि- आप एक कुत्ते के मरने पर शोक व्यक्त करते हैं, लेकिन यहां 600 किसानों की मौत हो गई, कोई संवेदना न होना किसानों के साथ अन्याय है!

खबरों की माने तो किसानों के पक्ष में खड़े सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन को बदनाम करनेवाले सारे आरोपों की हवा निकालते हुए कहा कि- दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध पूरी तरह जायज है, मैंने पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह और राम मनोहर लोहिया से यह सीखा है कि अपने समुदाय के हितों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए, मेरा जन्म किसानों के बीच हुआ है, मैंने उनके संघर्षों को देखा और महसूस किया है, मोदी जी जब सीएम थे तो एमएसपी पर भी उनका यही नजरिया था, किसानों की मांग बिल्कुल भी गलत नहीं है, वे करीब एक साल से दिल्ली की सीमा पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, इनमें से 600 की मौत हो चुकी है, आप एक कुत्ते की मौत पर भी शोक व्यक्त करते हैं, लेकिन किसानों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, यह अन्याय है.

इंडिया टुडे से विशेष साक्षात्कार में सत्यपाल मलिक का कहना था कि- मैं सरकार को चुनौती नहीं दे रहा हूं, मैं सिर्फ सलाह दे रहा हूं, अगर सरकार को मेरे बोलने से दिक्कत है तो मैं अपना पद छोड़ दूंगा, सरकार को आश्वस्त करना चाहिए कि वे संकटपूर्ण बिक्री की स्थिति उत्पन्न नहीं होने देंगे, किसान आंदोलन में कोई हिंसा नहीं हुई है, लाल किले की हिंसा उन लोगों के कारण हुई जो आंदोलन से जुड़े नहीं थे, किसान आंदोलन से जुड़े लोगों का हिंसा से कोई लेना-देना नहीं था.

सियासी सयानों का मानना है कि किसान आंदोलन की वजह से यूपी सहित विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को तगड़ा सियासी झटका लग सकता है, लेकिन इससे आत्ममुग्ध मोदी सरकार को तत्काल कोई सियासी खतरा नहीं है, लिहाजा किसान आंदोलन के समाधान पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है, देखना दिलचस्प होगा कि योगी जैसे सीएम किसान आंदोलन से होनेवाले सियासी नुकसान की भरपाई कैसे करते हैं?

Ranvijay Singh @ranvijaylive देश का जो हाल है इसमें सच बोलने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा - सत्यपाल मलिक

देश का जो हाल है इसमें सच बोलने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा - सत्यपाल मलिक pic.twitter.com/rIoMd32OXr

— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) October 25, 2021
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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