नजरिया. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपनी अलग सियासी चाल चलने के साथ-साथ दो मोर्चो पर एक साथ उलझ रहे हैं, प्रत्यक्ष- पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से, तो अप्रत्यक्ष- वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से, नतीजा यह है कि कांग्रेस की राजनीतिक उलझने बढ़ती जा रही हैं?
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गंभीरता के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी प्रारंभ कर दी है और उनकी पूरी कोशिश है कि जैसे भी संभव हो चुनाव से पहले किसान आंदोलन खत्म करवाया जाए.
वैसे बीजेपी भी इस आंदोलन से मुक्ति चाहती है, क्योंकि इसकी वजह से सियासी नुकसान बढ़ता जा रहा है.
खबर है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि वे केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध किसानों के वर्तमान आंदोलन के संभावित समाधान पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को कुछ कृषि विशेषज्ञों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे.
प्रेस से बातचीत में सिंह ने कहा कि- कल मैं गृहमंत्री शाह से मिलने जा रहा हूं और मेरे साथ 25-30 लोग जायेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि वह एक राजनीतिक दल शुरू करने की दहलीज पर हैं तथा जैसे ही चुनाव आयोग से नाम एवं निशान की मंजूरी मिल जाती है, वह दल की घोषणा कर देंगे.
अमरिंदर सिंह का कहना है कि- मैं समझता हूं कि मैं समाधान तलाशने में मदद कर सकता हूं, क्योंकि मैं पंजाब का मुख्यमंत्री रहा हूं एवं कृषक भी हूं.
सियासी सयानों का मानना है कि अमरिंदर सिंह अपने मकसद में कामयाब हो सकते हैं, यदि वे वाकई किसान आंदोलन का सम्मानजनक हल निकलवा सकें.
अमरिंदर सिंह के मजबूत होने से जहां कांग्रेस को सियासी नुकसान होगा, वहीं आम आदमी पार्टी को राजनीतिक फायदा होगा.
देखना दिलचस्प होगा कि सिद्धू में कोई बदलाव आता है या वे आगे भी इसी तरह फ्री स्टाइल पॉलिटिक्स खेलते रहेंगे!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पंजाब कांग्रेस की खींचतान को मनीष तिवारी ने कहा- मछली बाजार से भी बुरा हाल
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