लंदन. ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ग्लासगो में होने वाले जलवायु शिखर सम्मेलन COP-26 में हिस्सा नहीं लेंगी. बकिंघम पैलेस ने इस बात की पुष्टि की है.
बताया गया है कि महारानी अगले हफ़्ते आयोजित होने वाले जलवायु शिखर सम्मेलन COP-26 में शामिल होने के लिए ग्लासगो की यात्रा नहीं करेंगी.
बकिंघम पैलेस के मुताबिक महारानी को डॉक्टरों ने आराम की सलाह दी है जिसके मद्देनजर वे सम्मेलन में शामिल नहीं होगी.
रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया की स्थिति
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे. रूस की सरकार (क्रेमलिन) ने बीते हफ़्ते इसकी जानकारी दी थी.
वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना नहीं है. हालांकि चीन के अधिकारियों ने कथित तौर पर योजनाओं में बदलाव से पूरी तरह इनकार नहीं किया है.
इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के उस बयान की काफी आलोचना हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वो इस शिखर सम्मेलन को छोड़ सकते हैं. हालांकि बाद में उन्होंने कहा की कि वो इसमें भाग लेंगे.
2015 के पेरिस के ऐतिहासिक बातचीत के बाद COP-26 जलवायु परिवर्तन पर सबसे बड़ा सम्मेलन है. दुनिया के लगभग 200 देशों से 2030 तक, उत्सर्जन में कटौती करने की अपनी योजना देने को कहा जा रहा है.
जानकारों की नज़र इस बात पर लगी होगी कि कैसे रूस और दुनिया के अन्य प्रमुख जीवाश्म ईंधन उत्पादक, इस ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करने को तैयार हो पाएंगे?
जलवायु परिवर्तन का भारत पर असर
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत उन देशों में से है जिन पर जलवायु परिवर्तन का सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा. साथ ही इसमें ये भी कहा गया है कि इन देशों के पास जलवायु परिवर्तन के असर से लड़ने की तैयारी नहीं है.
रिपोर्ट में भारत के अलावा अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी ‘संवेदनशील देशों’ की सूची में शामिल हैं.
अमेरिका के ऑफ़िस ऑफ़ नेशनल इंटेलिजेंस (ODNI) ने भारत समेत 11 देशों के नाम गिनाते हुए कहा है कि इनमें जलवायु परिवर्तन की सबसे अधिक मार पड़ेगी.
भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार, इराक़, उत्तर कोरिया, ग्वाटेमाला, हैती, होंडारस, निकारागुआ और कोलंबिया को ‘चिंताजनक’ देशों की श्रेणी में रखा गया है.
इसमें बताया गया है कि भारत समेत दक्षिण एशिया के अन्य देशों में पानी को लेकर विवाद होगा और यह ‘भूराजनीतिक’ तनाव की प्रमुख वजह भी बनेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण मध्य अफ्रीका और प्रशांत क्षेत्र में छोटे देशों में अस्थिरता का ख़तरा बढ़ जाएगा, जिसका असर दुनिया की सबसे ग़रीब आबादी पर पड़ेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-PM मोदी आज शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में लेंगे हिस्सा, इन मसलों पर होगी बात
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