नई दिल्ली. भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर 60 प्रतिशत ब्लैक स्पॉट (खतरनाक क्षेत्र) को अब दुरुस्त कर दिया गया है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक तीन साल में सड़क दुर्घटनाओं में 28,000 से अधिक लोगों की मौत हुई. राज्यवार जानें तो सर्वाधिक मौतें तमिलनाडु में हुई हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दी गई एक अर्जी में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि 2016, 2017 और 2018 में 57,329 सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार रहे इन ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने के लिए 4,512.36 करोड़ रुपये खर्च किये गए. इन्हें दुरुस्त करने का कार्य 2019 में शुरू किया गया.
बता दें कि ब्लैक स्पॉट राष्ट्रीय राजमार्गों का करीब 500 मीटर का वह हिस्सा है, जहां तीन वर्षों में पांच सड़क दुर्घटनाएं हुई या इन तीन वर्षों में वहां कुल 10 लोगों की जान गई हो. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, ब्लैक स्पॉट खंड के दायरे में वे सड़क दुर्घटनाएं आती हैं, जिनमें लोगों की मौत हुई हो या गंभीर रूप से घायल हुए हों.
दरअसल, नोएडा के आरटीआई कार्यकर्ता अमित गुप्ता ने इस सिलसिले में एनएचएआई में एक आरटीआई अर्जी दी थी. इसके जवाब में प्राधिकरण ने कहा, 2015 से 2018 के दुर्घटना के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कुल 3,966 ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई. बताया गया, 2019-20 में 729 ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त किया गया, जबकि 2020-21 में यह संख्या 1103 रही. 2021-22 में सितंबर 2021 तक 583 ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त किया गया. प्राधिकरण के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजमार्गों पर 3,996 ब्लैक स्पॉट पर कुल 57,329 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 28,765 लोगों की मौत हुई. जवाब में बताया गया कि कुल 60.43 प्रतिशत ब्लैक स्पॉट दुरुस्त कर दिये गये.
तमिलनाडु में हुईं सर्वाधिक मौतें
एनएचआई से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्यों में सर्वाधिक मौतें तमिलनाडु में (4,408) हुईं और इसके बाद उत्तर प्रदेश (4,218) का स्थान है. आंकड़ों के मुताबिक, सर्वाधिक 496 ब्लैक स्पॉट तमिलनाडु में हैं, जिसके बाद पश्चिम बंगाल (450), आंध्र प्रदेश (357), तेलंगाना (336) और उत्तर प्रदेश (327) का स्थान है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-1 नवंबर से पूरी तरह अनलॉक होगी दिल्ली: स्कूल, मॉल, मल्टीप्लेक्स सहित खुलेगा सब कुछ
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