कोलंबो. श्रीलंका में चीनी कंपनी की धोखाधड़ी की घटना सामने आई है. श्रीलंका की एक वाणिज्यिक अदालत ने जांच में दूषित पाए गए ऑर्गेनिक उर्वरक की एक खेप को लेकर चीन की एक कंपनी को 49 लाख डॉलर का भुगतान रोकने का आदेश कायम रखा है. शुक्रवार को जारी इस अदालती आदेश के बाद श्रीलंका का पीपुल्स बैंक चीनी कंपनी को अगली सुनवाई होने तक भुगतान नहीं कर पाएगा.
अदालत में इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होनी है. श्रीलंका सरकार के स्वामित्व वाली सीलोन फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड की याचिका पर वाणिज्यिक उच्च न्यायालय ने गत 22 अक्टूबर को चीनी कंपनी का भुगतान रोकने का आदेश दिया था. चीन की किंगदाओ सीविन बायोटेक की तरफ से भेजी गई ऑर्गेनिक उर्वरक की एक खेप को परीक्षणों में दूषित पाए जाने के बाद उसका भुगतान रोकने का आदेश जारी हुआ.
श्रीलंका ने चीनी उर्वरक कंपनी की इस खेप को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि नेशनल प्लांट क्वारंटाइन सर्विस की जांच में वह उर्वरक दूषित पाया गया है. इस दूषित उर्वरक को श्रीलंका ने अपने बंदरगाहों पर उतारने की भी अनुमति नहीं दी. विवाद खड़ा होने के बाद किंगदाओ बंदरगाह से यह खेप लेकर आ रहे जहाज को सिंगापुर की ओर मोड़ दिया गया.
कोलंबो स्थित चीनी दूतावास ने श्रीलंका सरकार के इस कदम पर ऐतराज जताते हुए कहा था कि नमूने के दूषित पाए जाने की स्थिति में दोनों पक्षों को स्विस एसजीएस ग्रुप से दोबारा जांच करवानी चाहिए. इसके साथ ही उसने 29 अक्टूबर को श्रीलंका के पीपुल्स बैंक को भुगतान न करने के लिए प्रतिबंधित भी कर दिया. इस पर पीपुल्स बैंक ने कहा कि वह अदालती आदेश का पालन करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है. उसने कहा है कि अदालती अड़चनें हटते ही वह भुगतान का आदेश जारी कर देगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों की विश्वसनीयता बढ़ाना है SBTi के नए नेट जीरो मानक का उद्देश्य
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