पंजाब में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस के भीतर मचा घमासान खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. सोमवार को पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के बीच तनावपूर्ण स्थिति में बैठक हुई. सिद्धू कई नियुक्तियों पर मौजूदा राज्य सरकार के फैसले से खफा हैं. इस बैठक में राज्य प्रभारी हरीश चौधरी भी मौजूद थे. हालांकि बैठक में दोनों नेताओं के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि सिद्धू बैठक छोड़कर ही चले आए. वहीं सीएम चन्नी को मनाने के लिए राज्य प्रभारी ने काफी कोशिश की. इस दौरान काबीना मंत्री परगट सिंह भी मौजूद थे लेकिन उन्होंने इस पूरे मुद्दे पर कुछ कहा नहीं.
बैठक के दौरान सिद्धू ने ए पी एस देओल और इकबाल प्रीत सिंह सहोता की क्रमश: राज्य के महाधिवक्ता और कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के रूप में नियुक्ति का मुद्दा उठाया था. इस पर चन्नी ने कहा कि आखिरी फैसले से पहले किसी अधिकारी को हटाया नहीं जाएगा, इसी बात पर सिद्धू नाराज हो गए. वह तुरंत बैठक से बाहर आ गए. इसके बाद चन्नी भी गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उन्हें मनाने में राज्य प्रभारी को काफी मशक्कत करनी पड़ी. बता दें यह बैठक कोटकपूरा पुलिस फायरिंग की 2015 की घटना की जांच की स्थिति को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने और राज्य में अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठाने के कुछ ही घंटों बाद हुई.
इससे पहले सिद्धू ने सोमवार को राज्य में अपनी पार्टी की सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या वह 2015 कोटकपूरा पुलिस गोलीबारी की घटना के पीड़ितों को न्याय दिलाएगी या दोषियों की ‘ढाल’ बनकर उनके साथ खड़ी होगी. उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि कोटकपूरा गोलीबारी की घटना की जांच छह महीने के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए.
उन्होंने पूछा, ‘आज छह महीने और एक दिन बीत गया. (मामले में) चार्जशीट कहां है.’ वहीं नशीले पदार्थों पर एक विशेष कार्यबल की रिपोर्ट पर, सिद्धू ने राज्य सरकार से पूछा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से किसने रोका और उन्होंने ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ की आवश्यकता पर जोर दिया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सीएम चन्नी का ऐलान: पंजाब में पेट्रोल 10 रुपए और डीजल 5 रुपए होगा सस्ता
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