मुंबई. सरकारी कंपनी ऑइल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) ने रिकॉर्ड हासिल किया है. देश में किसी एक तिमाही में सबसे ज्यादा फायदा कमाने वाली कंपनी बन गई है. इसने सितंबर तिमाही में 18,347.73 करोड़ रुपए का फायदा कमाया है.
इंडियन ऑइल के नाम था रिकॉर्ड
अभी तक किसी एक तिमाही में सबसे ज्यादा फायदा कमाने का रिकॉर्ड भी सरकारी कंपनी इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन के नाम था. इस कंपनी ने मार्च 2013 की तिमाही में 14,513 करोड़ रुपए का फायदा कमाया था. हालांकि टाटा स्टील ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा और उसने मार्च 2018 में 14,688 करोड़ रुपए का फायदा कमाया था.
कोल इंडिया ने कमाया था 14,189 करोड़ का फायदा
इससे पहले सरकारी कंपनी कोल इंडिया ने मार्च 2016 की तिमाही में 14,189 करोड़ रुपए का फायदा कमाया था. जबकि निजी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सितंबर 2021 की तिमाही में 13,680 करोड़ रुपए का फायदा कमाया था. इस आंकड़े में टाटा स्टील और रिलायंस इंडस्ट्रीज की सभी कंपनियों का फायदा शामिल है, जबकि ओएनजीसी ने अकेले 18,348 करोड़ रुपए का फायदा कमाया है. ओएनजीसी की अन्य कंपनियों के फायदे को मिला दें तो यह आंकड़ा 18,749 करोड़ रुपए हो जाता है.
110 प्रतिशत का लाभांश देगी ओएनजीसी
ओएनजीसी ने इसी के साथ 110 प्रतिशत का लाभांश (डिविडेंड) भी देने की घोषणा की है. यानी प्रति शेयर 5.50 रुपए का लाभांश कंपनी देगी. शुक्रवार को इसका शेयर 154 रुपए के ऊपर बंद हुआ था. एक साल पहले जुलाई-सितंबर की तिमाही में कंपनी को 2,757.77 करोड़ रुपए का लाभ हुआ था. उसकी तुलना में इस बार सितंबर तिमाही में फायदा 5.65 गुना बढ़ा है. वित्तवर्ष 2020-21 (अप्रैल 2019 से मार्च 2020) के पूरे साल में केवल 11,246 करोड़ रुपए का फायदा कमाया था. चालू वित्तवर्ष यानी अप्रैल से लेकर सितंबर की बात करें तो छमाही में इसे 22,682 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है.
दो कारणों से बढ़ा ओएनजीसी का फायदा
ओएनजीसी के फायदे में इतनी जबर्दस्त बढ़त के दो कारण हैं. एक तो कच्चे तेल की कीमतें 41 डॉलर से बढ़कर 69 डॉलर पर पहुंच गईं. दूसरे कंपनी ने एकमुश्त टैक्स का लाभ उठाया. एकमुश्त टैक्स के मामले में उसे 8,541 करोड़ रुपए का फायदा हुआ. ओएनजीसी को तेल और गैस प्रोडक्शन में कमी के बावजूद यह मुनाफा हुआ है. कंपनी का क्रूड यानी कच्चे तेल का प्रोडक्शन 3.8 प्रतिशत घटकर 54 लाख टन पर पहुंच गया. जबकि गैस प्रोडक्शन 7 प्रतिशत घटकर 5.4 अरब क्यूबिक मीटर पर आ गया.
ओएनजीसी ने दरअसल कम टैक्स का विकल्प चुना था. इसमें 22 प्रतिशत का टैक्स लगता है. इसकी वजह से उसे करेंट टैक्स में 1,304 करोड़ रुपए की बचत हुई और डिफर्ड टैक्स में 8,541 करोड़ रुपए की बचत हुई.
2019 में सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट में किया था सुधार
इनकम टैक्स एक्ट 1961 में 2019 में सरकार ने सुधार किया था. इसके मुताबिक, भारत में जो कंपनियां हैं, वे कॉर्पोरेट इनकम टैक्स में 22त्न पेमेंट का विकल्प चुन सकती हैं. इस पर सरचार्ज और सेस लागू होगा. इससे पहले यह टैक्स 30त्न का था. इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है. ओएनजीसी का रेवेन्यू सितंबर तिमाही में 44 प्रतिशत बढ़कर 24,353 करोड़ रुपए रहा. एक साल पहले सितंबर तिमाही में यह रेवेन्यू 18,348 करोड़ रुपए था. हालांकि, इसकी सभी कंपनियों का रेवेन्यू जोड़ लें तो कुल 1.22 लाख करोड़ रुपए हो जाता है. जो सितंबर 2020 में 83,619 करोड़ रुपए था.
भारत एशिया में तेल के रिफाइनिंग का महत्वपूर्ण हब
भारत एशिया में तेल के रिफाइनिंग का महत्वपूर्ण हब है. इसकी सालाना क्षमता 249.36 मिलियन टन की है. इसके पास 23 रिफाइनरीज हैं. भारत ने कच्चे तेलों के आयात (इंपोर्ट) पर वित्तवर्ष 2021 में 62.71 अरब डॉलर खर्च किया था, जबकि वित्तवर्ष 2020 में इसने 101.4 अरब डॉलर और 2019 में 111.9 अरब डॉलर का खर्च किया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मुंबई: मुकेश अंबानी के घर का पता पूछ रहे थे 2 संदिग्ध, पुलिस ने एंटीलिया की सुरक्षा बढ़ाई
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