दिल्ली हाईकोर्ट का सवाल-14 साल में खत्म हो गया था राम का वनवास, चांदनी चौक का कब होगा?

दिल्ली हाईकोर्ट का सवाल-14 साल में खत्म हो गया था राम का वनवास, चांदनी चौक का कब होगा?

प्रेषित समय :10:07:20 AM / Wed, Nov 24th, 2021

नई दिल्ली. उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ‘अबतक वनवास खत्म हो जाना चाहिए क्योंकि महाकाव्य रामायण भी 14 साल से अधिक समय तक नहीं चली.’ न्यायालय ने चांदनी चौक के पुनर्विकास को लेकर 2007 से लंबित मामले पर चिंता जाहिर करते हुए यह टिप्पणी की है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जे. भंभानी की पीठ ने कहा कि 2007 से यह मामला लंबित है, यहां तक की रामायण भी 14 साल से अधिक समय तक नहीं चला.

पीठ ने कहा कि अबतक चांदनी चौक का वनवास खत्म हो जाना चाहिए, क्या चल रहा है. पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब दिल्ली सरकार के सेवा विभाग द्वारा चांदनी चौक क पुनर्विकास से जुड़े मामले में अर्जी दाखिल कर मामले के नोडल अधिकारी रेणु शर्मा को मुक्त करने की मांग की क्योंकि उनका तबादला मिजोरम में कर दिया गया है.

सरकार के सेवा विभाग ने यह अर्जी गैर सरकारी संगठन ‘मानुषी’ द्वारा चांदनी चौक इलाके के पुनर्विकास और गैर-मोटर चालित वाहनों (एनएमवी) के लिए अलग लेन बनाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका में पेश की थी. यह मामला 2007 से लंबित है. हालांकि अधिवक्ता के आग्रह पर बाद में पीठ ने मामले की सुनवाई 13 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया.

मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि न्यायालय के पिछले आदेश के मुताबिक नोडल अधिकारी शर्मा का तबादला कोर्ट के पूर्व अनुमति के बगैर नहीं किया जा सकता है. पीठ के समक्ष पहले से लंबित मुख्य याचिका में पहले चांदनी चौक में चलने वाले साइकिल रिक्शा के पंजीकरण, वहां आने वाले निजी वाहनों के लिए गांधी मैदान में पार्किंग स्थल, पुरानी दिल्ली के पास दंगल मैदान में एक बस डिपो के निर्माण का आदेश दिया गया था कि वहां पर भीड़भाड़ को किया गया. साथ ही साइकिल रिक्शा के लिए अलग लेन भी बनाया गया.

ये सभी परियोजनाएं चांदनी चौक के पुनर्विकास की मुख्य योजना का हिस्सा हैं और उच्च न्यायालय द्वारा इसकी सक्रिय निगरानी की जा रही है. याचिकाकर्ता संगठन की ओर से अधिवक्ता इंदिरा उन्नी नायर ने पीठ को बताया कि मामला पिछले 14 सालों से चल रहा है और अवमानना के कई मामलों के साथ अधिकारियों या सरकारी निकायों की सुस्ती, अनिच्छा और आदेशों का पालन नहीं होने की वजह से बार-बार आदेश पारित किए गए हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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