मुजफ्फरपुर. शहर के जुरन छपरा स्थित आई हॉस्पिटल की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. बीते 22 नवंबर को मोतियाबिंद ऑपरेशन कैम्प लगाया गया था. इसमें कई मरीजों ने इस उम्मीद में ऑपरेशन करवाया कि वो अब देख सकेंगे. लेकिन, अस्पताल की लापरवाही ने सभी मरीजों को जीवन भर के लिए अंधा बना दिया. मामला मुजफ्फरपुर के चर्चित आई हॉस्पिटल का है जहां सोमवार को मरीजों के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. मामले की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा ने जांच के आदेश दे दिए हैं. साथ दोषियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है.
जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में बीते 22 नवंबर को सुबह 10:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इसमें करीब 24 से अधिक महिलाओं और पुरुषों ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया था. लेकिन, महज एक सप्ताह के अंदर ही सभी के आंखों में इंफेक्शन हो गया. हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए कि कई लोगों को अपना इलाज अन्य जिलों में जाकर भी करवाना पड़ा.
इसी केस के पीड़ित कुछ लोग दूसरी जगहों पर इलाज करवाने में सक्षम नहीं थे वैसे लोगों ने आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो यह कहा गया कि इंफेक्शन हो गया है, आंखें हटानी पड़ेंगी अन्यथा दोनों आंखें इंफेक्शन के कारण खराब हो जाएंगी. अस्पतालकर्मियों के द्वारा इस बात के कहे जाने के बाद मरीजों व उनके परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. मरीजों के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करना शुरू कर दिया.
मरीजों के परिजनों के हंगामे के दौरान अस्पताल का कोई भी पदाधिकारी अस्पताल में मौजूद नहीं थे. बताया जा रहा है कि जब इसकी जानकारी सिविल सर्जन को दी गई तो सभी अस्पताल कर्मी दर्द से कराहते मरीजों को छोड़कर भाग गए. इसके बाद सूचना पर पुलिस बल को भेजा गया और सभी मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल से बाहर निकाला गया. इनमें कई मरीज ऐसे थे जिन्हें एंबुलेंस के सहारे पटना भी भेजा गया है.
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना था कि करीब 6 से अधिक लोग हैं जो बहुत ज्यादा परेशानी में थे. जिनका विभिन्न जगहों पर इलाज हुआ है और उनकी आंखों को निकाला गया है. सिर्फ इसलिए कि ठीक से ऑपरेशन नहीं हुआ. पूरी आंख में इंफेक्शन हो गया था जिसे निकालने के अलावा दूसरा कोई उपाय उनके पास नहीं था .
जब इस पूरे मामले पर सिविल सर्जन से सवाल किया गया जिसके बाद सिविल सर्जन डॉ विनय शर्मा ने कहा कि कई फोन कॉल से यह जानकारी मिली है कि ऑपरेशन के बाद लोगों को काफी ज्यादा दिक्कतें आई हैं. इस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच के लिए तीन सदस्य डॉक्टरों की टीम बनाई गई है, जो 2 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट जांच कर देंगे कि आखिर ऑपरेशन का प्रोटोकॉल पालन किया गया है या नहीं. या फिर किस कारण से ऐसा हुआ है. जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-घर के मंदिर में बाहरी लोगों के पूजा करने पर बिहार सरकार की नज़र, टैक्स लेने की तैयारी
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