नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ, जिसके पहले ही दिन राज्यसभा के सभापति ने 12 विपक्षी सांसदों को इस सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया. उनके ऊपर मानसून सत्र के दौरान हंगामा करने और मार्शलों से बदसलूकी करने का आरोप लगा है. सोमवार शाम को खबर आई थी कि सभी निलंबित सांसद सभापति वेंकैया नायडू से मिलकर माफी मांगेंगे, लेकिन अब कांग्रेस समेत अन्य दलों ने इससे इनकार कर दिया है.
निलंबित सांसदों में 6 तो सिर्फ कांग्रेस के हैं, ऐसे में मंगलवार को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि किस बात की माफी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिल्कुल नहीं. इससे पहले उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में लिखा था कि चर्चा नहीं होने दी- स्ष्स्द्व, पर, शहीद अन्नदाता के लिए न्याय पर, लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्खास्तगी पर...जो छीने संसद से चर्चा का अधिकार, फेल है, डरपोक है वो सरकार.
वहीं 12 निलंबित विपक्षी सांसद राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर अपने निलंबन के खिलाफ बहस करेंगे. इसके अलावा वो बुधवार से गांधी प्रतिमा के सामने धरना देंगे. मामले में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमारे दोनों सांसद बुधवार सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक संसद परिसर में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने बैठेंगे. वो अपने सांसदों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए अन्य सांसदों को भी आमंत्रित करेंगे. ये पूरी प्रक्रिया 23 दिसंबर को सत्र खत्म होने तक चलेगी.
क्या कह रही सरकार?
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि अगर सांसदों ने राज्यसभा के सभापति से माफी मांगी तो सरकार उनके निलंबन को रद्द करने के लिए तैयार है. इस पर आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा था कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता. संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में इस कदम का कोई समानांतर नहीं है. ये पूरी तरह से अलोकतांत्रिक, गैरकानूनी और असंवैधानिक है. अगर कोई रास्ता नहीं निकला तो हम बहिष्कार करेंगे. वहीं राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी सभापति को पत्र लिखा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीजेपी के साथ सरकार बनाने का दावा किया, दिल्ली जाकर करेंगे सीटों की बात
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