नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए राजधानी के स्कूलों में फिजिकल क्लास को बंद कर दिया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि उसने सरकार से स्कूलों को बंद करने के लिए नहीं कहा था. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि इसने केवल सरकार के रुख में बदलाव के कारणों के बारे में पूछा था. पीठ ने कहा कि यह मामले की सुनवाई जारी रखे हुए है.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार को प्रदूषण के खिलाफ कुछ ठोस कदम उठाने के लिए 24 घंटे का समय दिया. ऐसे में दिल्ली सरकार ने स्कूलों को बंद करने सहित अपने द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी दी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों के निर्माण कार्यों के लिए दिल्ली सरकार को मंजूरी दे दी. पीठ ने गुरुवार को सरकार से सवाल किया कि उसने स्कूली बच्चों के लिए फिजिकल क्लास फिर से शुरू करते हुए ऑफिस जाने वाली आबादी को घर से काम करने की अनुमति क्यों दी, जबकि बच्चों को खतरनाक प्रदूषण का खतरा अधिक है.
वहीं, दिल्ली सरकार ने गुरुवार को अदालत को सूचित किया कि स्कूल आना स्वैच्छिक है और ऑनलाइन कक्षाएं भी चल रही हैं. इस पर अदालत ने कहा कि अगर कोई विकल्प है, तो लोग अपने बच्चों को स्कूलों में भेजेंगे ही. शीर्ष अदालत में सुनवाई के बाद दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार से शुरू होने वाली क्लास को अनिश्चित काल के लिए अगली सूचना तक बंद करने का ऐलान किया. मंत्री ने यह भी कहा कि उस समय राजधानी की प्रदूषण की स्थिति के आधार पर 29 नवंबर से फिजिकल क्लास शुरू करने का फैसला किया गया था.
दूसरी ओर, शुक्रवार को दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि स्कूल बंद कर दिए गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि नवंबर में केवल 17 दिनों के लिए फिजिकल क्लास चली थीं. चीफ जस्टिस ने कहा कि मीडिया के कुछ वर्गों ने सुप्रीम कोर्ट को खलनायक के रूप में पेश किया है. उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि मीडिया के कुछ वर्ग यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि हम खलनायक हैं और हम स्कूलों को बंद करना चाहते हैं. आपने कहा था कि हम स्कूल बंद कर रहे हैं और घर से काम शुरू कर रहे हैं. आज का पेपर देखें.’
वहीं, चीफ जस्टिस की बात को लेकर टिप्पणी करते हुए सिंघवी ने कहा कि एक न्यूजपेपर ने सुनवाई की रिपोर्ट ऐसे पब्लिश की, जैसे ये प्रशासनिक लड़ाई हो. सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने प्रदूषण निर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया है. आयोग ने अदालत को सूचित किया कि उसने उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए पहले ही 17 फ्लाइंग स्क्वायड का गठन किया है और अगले 24 घंटों में यह संख्या बढ़ाकर 40 कर दी जाएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-वायु प्रदूषण: राजधानी दिल्ली में स्कूल खोलने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, सरकार को लगाई फटकार
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