चंडीगढ़. किसानों की सभी मांगें पूरी होने तक किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा. शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में यह फैसला लिया गया. इसके अलावा आगे के संघर्ष की रणनीति और केंद्र सरकार से बातचीत करने के लिए 5 मेंबरी कमेटी बना दी गई है. जिसमें बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, युद्धवीर सिंह, शिवकुमार कक्का, अशोक धावले शामिल हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को 2 दिन का वक्त दिया है. जिसमें वह कमेटी, किसानों पर दर्ज केस वापस लेने, मुआवजे और बाकी मांगों के बारे में स्थिति स्पष्ट करें. इसके बाद 7 दिसंबर को फिर मोर्चे की मीटिंग होगी.
केंद्र को 702 मृत किसानों की सूची भेजी
इससे पहले किसान नेताओं ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 702 लोगों की लिस्ट संयुक्त कृषि सचिव को भेज दी है. जिनके बदले केंद्र से मुआवजा मांगा गया है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में कहा था कि उनके पास आंदोलन में मरने वाले लोगों के बारे में जानकारी नहीं है.
कई मुद्दों पर नहीं हुआ फैसला - उगराहां
मीटिंग के बाद किसान नेता जोगिंदर उगराहां ने कहा कि बिजली बिल 2020, पराली और एमएसपी को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. इसके अलावा किसानों पर दर्ज केस के मामले में भी केंद्र ने कोई बात नहीं की. लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने का मामला भी अभी पेंडिंग है.
राज्य सरकारों से बात करने के लिए भी यही कमेटी करेगी नाम तय - टिकैत
राकेश टिकैत ने कहा कि एसकेएम ने तय किया है कि 5 मेंबरी कमेटी भारत सरकार से बात करेगी. राज्य स्तर पर सरकार से कौन बात करेगा, यह तय करने का काम भी इसी कमेटी का होगा. कमेटी सरकार से जो भी बात होगी, उसे संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में बताएगी. टिकैत ने कहा कि 2 दिन में केंद्र सरकार आंदोलन को लेकर अपना एजेंडा स्पष्ट करे. देश भर में किसानों पर दर्ज हुए केसों को रद्द करने पर कार्रवाई के बारे में भी जानकारी दे.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास सभी आंकड़े - कक्का
किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि केंद्र राज्य सरकार को निर्देश दे कि किसान और उनको सहयोग देने वाले सभी लोगों पर दर्ज केस वापस लें. किसानों की मौतों के आंकड़ों के सवाल पर उन्होंने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो सभी मौतों का हिसाब रखती है. इसके बावजूद सरकार का इसके बारे में पता न होने की बात कहना गलत है.
कृषि कानून हो चुके वापस
जिन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में यह आंदोलन शुरू हुआ था, केंद्र सरकार उन्हें वापस ले चुकी है. लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद इनकी वापसी पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग चुकी है. इसकी घोषणा करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी को लेकर कमेटी बनाने की बात भी कही थी, जिसके बाद किसान नेताओं से संपर्क कर 5 नाम भेजने को कहा था, जिन्हें कमेटी में शामिल किया जा सके. मीटिंग में इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया.
पीएम को लिखे पत्र का नहीं मिला जवाब
अहम मीटिंग से एक दिन पहले यानी 3 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला. हरियाणा में सीएम मनोहर लाल खट्टर से किसानों की मीटिंग हुई है. उसमें केस वापस लेने पर सहमति बन गई थी, लेकिन मुआवजे को लेकर बात नहीं बनी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-खत्म हो सकता है किसान आंदोलन, 32 संगठन वापसी को तैयार, कहा- अब कोई बहाना नहीं बचा, बुधवार को मीटिंग
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