दशकों तक संसद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले और जम्मू-कश्मीर के सीएम रहे गुलाम नबी आजाद इन दिनों गांधी परिवार से अपनी करीबी से ज्यादा आजादख्याली के लिए चर्चा में हैं. राज्यसभा से विदाई के बाद से ही उनके तेवर कुछ अलग हैं और अकसर उनकी भाजपा से करीबी की बातें की जाती रही हैं. भले ही गुलाम नबी आजाद ने भगवा दल से दोस्ती का कोई सीधा संकेत नहीं दिया है, लेकिन कांग्रेस को राहत भी नहीं दी है. आजाद ने जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में रैलियां करने की योजना बनाई है. इसके पहले राउंड की शुरुआत उन्होंने 16 नवंबर को जम्मू के बनिहाल से की थी, जो कश्मीर से सटा हुआ है. इसके अलावा 4 दिसंबर को रामबन में हुई रैली के साथ पहला राउंड पूरा हो गया है.
डोडा के भद्रवाह के रहने वाले गुलाम नबी आजाद ऐसे पहले सीएम रहे हैं, जिनका ताल्लुक जम्मू क्षेत्र से था. इसके अलावा वह कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं. इस तरह उनका जनाधार घाटी से लेकर जम्मू तक में है और यदि उनके तेवर बागी होते हैं तो फिर कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. हाल ही में उनके 20 समर्थक नेताओं ने पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से ही कांग्रेस की नजर गुलाम नबी आजाद के भविष्य के प्लान पर है. दरअसल बीते कई कार्यक्रमों में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस लीडरशिप पर तो इशारों में निशाना साधा, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर कुछ भी कहने से बचे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कांग्रेस के राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने पंचायत चुनाव पर उठा दिया ये सवाल, बोले हाईकोर्ट जाएंगे
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