नई दिल्ली. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की महज 5 घंटे की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने दोस्ती मजबूत करने के 28 समझौतों पर मुहर लगा दी. दोनों देशों ने कनेक्टिविटी से लेकर सैन्य सहयोग, ऊर्जा साझेदारी से लेकर अंतरिक्ष क्षेत्र में भागीदारी के अनेक मुद्दे शामिल हैं. साथ ही संयुक्त बयान जारी कर अपनी दोस्ती को शांति, प्रगति और समृद्धि की साझेदारी करार दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए पिछले कई दशकों में वैश्विक स्तर पर कई मूलभूत बदलाव आए हैं. कई तरह के राजनीतिक समीकरण उभरे हैं. लेकिन इन सभी बदलावों के बीच भी भारत और रूस की दोस्ती स्थिर रही है. दोनों देशों ने न सिर्फ एक दूसरे के साथ नि:संकोच सहयोग किया है, एक दूसरे की संवेदनशीलताओं का भी खास ध्यान रखा है. यह देशों की दोस्ती का एक अनोखा और विश्वसनीय मॉडल है.
कोरोना संकट के बीते दो सालों के दौरान अपनी दूसरी विदेश यात्रा पर दिल्ली आए राष्ट्रपति पुतिन ने भी कहा कि रूस की नजर में भारत एक महान शक्ति, एक मित्र देश और समय की कसौटी पर परखा हुए भरोसेमंद दोस्त है. दोनों देशों के रिश्ते तेजी से बढ़ रहे हैं और भविष्य की ओर देख रहे हैं.
भारत और रूस के बीच 21वीं शिखर वार्ता के साथ ही सोमवार को दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की 2+2 बातचीत का भी दौर हुआ. बैठक के बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत और रूस के बीच वार्ताओं में व्यापक और खुली चर्चा हुई. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख के सीमा तनाव से लेकर हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा से जुड़े सभी जरूरी पहलुओं पर बातचीत हुई.
उन्होंने भारत और रूस के बीच हुई शिखर वार्ता और समझौतों को दोनों देशों के रिश्तों का दायरा बढ़ाने वाला और नए मुकाम तक पहुंचाने वाला करार दिया. श्रृंगला के मुताबिक एक तरफ जहां अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर की योजना आगे बढ़ाने पर रजामंदी हुई. वहीं दोनों पक्ष जल्दी ही भारत के चेन्नई को रूस के व्लादिवोस्तक तक जोड़ने वाले समुद्री गलियारे पर भी तेजी से काम करने को सहमत हैं.
भारत और रूस ने अपने सैन्य और तकनीकी सहयोग समझौते को अगले 10 साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है. इसके तहत साझा सैन्य उत्पादन और अनुसंधान-विकास पर सहमति बनी है. वहीं अपेक्षा के विपरीत भारत और रूस के बीच रिवर्स लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौते पर मुहर नहीं लग पाए. इस समझौते के तहत भारत को आर्कटिक क्षेत्र में रूसी ठिकानों से रसद भरने की सुविधा हासिल हो सकेगी.
इस बीच बैठक के बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जहां दोनों देशों की साझेदारी पर संतोष जताया. वहीं हिंद प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक पैंतरेबाजी को लेकर तंज भी कसा. अमेरिका का नाम लिए बिना रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि इन दिनों हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई तरह के समूह बनाने की कोशिश हो रही है. ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका और ब्रिटेन के समूह ऑकस की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के समूह बेमानी हैं. इतना ही नहीं लावरोव ने ऑस्ट्रेलिया को नाभिकीय पनडुब्बी देने के फैसले पर भी ऐतराज जताया.
भारत और रूस के शीर्ष नेताओं ने आतंकवाद और अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर भी चर्चा की. विदेश सचिव के मुताबिक दोनों पक्ष इस बात को लेकर एकराय थे कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट और सख्त उपाय किए जाने चाहिए. इतना ही नहीं दोनों देशों ने इस बारे में भी सहमति जताई कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए करने की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती. संयुक्त बयान में दोनों मुल्कों ने अलकायदा, आईएसआईएस और लश्कर-ए-तोयबा जैसे संगठनों के खिलाफ एकजुट कार्रवाई करने का भी संकल्प जताया. शिखर वार्ता के साथ हुए समझौतों की कड़ी में भारत के रिजर्व बैंक और रूस के बैंक ऑफ रशिया ने सायबर हमलों के खिलाफ मिलकर लड़ने का करार किया. इसके अलावा इस्पात के क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ाने के लिए सहयोग समझौते पर दस्तखत किए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में सिद्धू का हल्ला बोल, टीचर्स के साथ धरने पर बैठे, केजरीवाल को दी चुनौती- दम है तो दें जवाब
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