नसों में खून की रफ्तार रुकने न पाए इसलिए इन हेल्थ टिप्स को करें फॉलो

नसों में खून की रफ्तार रुकने न पाए इसलिए इन हेल्थ टिप्स को करें फॉलो

प्रेषित समय :11:25:12 AM / Sat, Dec 11th, 2021

रगों में दौड़ते खून की रफ्तार बिगड़ते ही हमारी सेहत भी बिगड़ने लगती है. रक्त परिसंचरण में आई गड़बड़ियों का असर केवल दिल पर ही नहीं पड़ता, शरीर के दूसरे अंग भी इसकी गिरफ्त में आते हैं. ठंड में रक्त संचार पर और भी ध्यान देना जरूरी है.  जब हमारा रक्त परिसंचरण तंत्र ठीक से काम नहीं करता, तो केवल हृदय ही नहीं, शरीर के किसी भी भाग पर इसका असर पड़ सकता है. रक्त नलिकाओं का जाल पूरे शरीर में बिछा होता है. 

हमारा शरीर सुचारू रूप से कार्य कर सके, इसके लिए रक्त परिसंचरण तंत्र का ठीक रहना जरूरी है. इसी से पूरे शरीर में ऑक्सीजन, पोषक तत्वों, इलेक्ट्रोलाइट्स और हार्मोन्स की आपूर्ति होती है. सर्दियों में रक्त का प्रवाह थोड़ा धीमा हो जाता है. जब बाहर तापमान कम होता है तो शरीर खुद को सुरक्षित रखने के प्रयास करता है. सर्दियों में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और प्लेटलेट स्टिकी हो जाते हैं. 

इससे हृदय को रक्त पंप करने और शरीर का सामान्य ताप बनाए रखने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. नतीजतन, रक्तदाब और धड़कनें तेज हो जाती हैं. ठंड में हृदय रोगियों की दिक्कत बढ़ती हैं. हमारे रक्त परिसंचरण तंत्र को सक्रिय होने में थोड़ा समय लगता है. तभी, ठंड में सुबह जागने पर, खड़े न होकर बिस्तर पर ही कुछ देर स्ट्रेचिंग की सलाह दी जाती है.

गड़बड़ी के लक्षण

मांसपेशियों में ऐंठन

पाचन से जुड़ी समस्याएं

वैरिकोज वेन्स

थकान होना

याद्दाश्त कमजोर होना

भ्रमित होना

त्वचा बदरंग हो जाना

सांस लेने में परेशानी होना

हाथों या पैरों में दर्द व सुन्नपन.

ये लक्षण संकेत हैं कि शरीर में रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो रहा है.

यह इस पर निर्भर करता है कि आपका परिसंचरण तंत्र कितना क्षतिग्रस्त हुआ है. उच्च रक्तदाब और कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं. रक्त में बनने वाले थक्कों के उपचार के लिए क्लॉट डिजॉल्विंग दवाएं दी जाती हैं. जब दवाओं से रक्त के थक्कों को ठीक किया जाना संभव नहीं होता, तब सर्जरी से क्लॉट निकाल कर रक्त प्रवाह को सामान्य बनाते हैं. अगर कोई वॉल्व ठीक से काम नहीं कर रहा है तो इसे बदलने के लिये सर्जरी जरूरी हो जाती है.

ठंड में रखें ध्यान

वर्क आउट जरूर करें- व्यायाम से शरीर में ऊष्मा का स्तर बढ़ता है और रक्तप्रवाह सामान्य बना रहता है. बाहर नहीं जा सकते तो घर में व्यायाम करें.

शरीर गर्म रखें - ठंडी हवा में शरीर से ऊष्मा अधिक निकलती है. हमेशा कई लेयर में कपड़े पहनें, ताकि उष्मा ट्रैप हो सके और ज्यादा गर्मी लगने पर लेयर हटा भी सकें.

पानी खूब पिएं- जल का उचित स्तर रक्त को गाढ़ा नहीं होने देता. तरल पदार्थ ज्यादा लें. चाय-कॉफी का सेवन कम करें. गुनगुना पानी पिएं.

गुनगुनी धूप लें- सप्ताह में 4-5 घंटे धूप में बैठें. धूप से विटामिन डी मिलेगा, अवसाद कम होगा और रक्त संचार भी सही रहेगा. विभिन्न शोधों के अनुसार, विटामिन डी की कमी से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

तनाव से बचें- तनाव से स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने लगते हैं, जो रक्त संचरण पर बुरा असर डालते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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