नई दिल्ली. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान ने सूर्य को छूकर इतिहास रच दिया है. ये एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे असंभव माना जाता है. इतिहास में पहली बार किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य के कोरोना को छुआ है. जिसका वातावरण करीब 20 लाख डिग्री फारेनहाइट रहता है. इसे सोलर विज्ञान और अंतरिक्ष की दुनिया में नासा के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है. इस अंतरिक्ष यान का नाम पार्कर सोलर प्रोब है.
पार्कर सोलर प्रोब ने 28 अप्रैल को सूर्य के ऊपरी वायुमंडल कोरोना में सफलतापूर्वक प्रवेश किया और उड़ान भरी. फिर उसने सूर्य की सतह पर स्थित कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का नमूना लिया. ये सफलता हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के सदस्यों सहित वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बड़े स्तर पर किए गए सहयोग के कारण संभव हो सकी है. इन्होंने प्रोब में लगे एक महत्वपूर्ण उपकरण सोलर प्रोब कप का निर्माण किया और फिर उसकी निगरानी की.
यह कप ही वो उपकरण है, जिसने सूर्य के वायुमंडल से कण एकत्र किए हैं, जिससे वैज्ञानिकों को यह सत्यापित करने में मदद मिली कि अंतरिक्ष यान वास्तव में कोरोना को पार गया था. कप द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, अंतरिक्ष यान ने 28 अप्रैल को पांच घंटे में तीन बार कोरोना में प्रवेश किया. ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में बताने वाला साइंटिफिक पेपर फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है. जिसमें सीएफए एस्ट्रोफिजिसिस्ट एंथनी केस ने बताया कि कैसे सोलर प्रोब कप अपने आप में इंजीनियरिंग की एक अविश्वसनीय उपलब्धि था.
गर्मी से बचाने के लिए उपकरण का निर्माण उन सामग्रियों से किया गया था, जिनमें टंगस्टन, नाइओबियम, मोलिब्डेनम और नीलम जैसे हाई मेल्टिंग पॉइंट मौजूद हैं. पृथ्वी के विपरीत, सूर्य की कोई ठोस सतह नहीं है. लेकिन इसमें अत्यधिक गर्म वातावरण होता है, जो गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय बलों द्वारा सूर्य से बंधी सौर सामग्री से बना होता है. वहीं कोरोना सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत होती है, जहां मजबूत चुंबकीय क्षेत्र प्लाज्मा को बांधते हैं और सौर हवाओं को बाहर निकलने से रोकते हैं. नासा के अनुसार, पार्कर सोलर प्रोब की सफलता तकनीकी इनोवेशन से कहीं अधिक है. इस अंतरिक्ष यान की ऐतिहासिक उपलब्धि ने सूर्य के बारे में सदियों पुराने रहस्यों को सुलझाने की उम्मीद जगा दी है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान ने सूर्य को छूकर इतिहास रच दिया है. ये एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे असंभव माना जाता है. इतिहास में पहली बार किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य के कोरोना को छुआ है. जिसका वातावरण करीब 20 लाख डिग्री फारेनहाइट रहता है. इसे सोलर विज्ञान और अंतरिक्ष की दुनिया में नासा के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है. इस अंतरिक्ष यान का नाम पार्कर सोलर प्रोब है.
पार्कर सोलर प्रोब ने 28 अप्रैल को सूर्य के ऊपरी वायुमंडल कोरोना में सफलतापूर्वक प्रवेश किया और उड़ान भरी. फिर उसने सूर्य की सतह पर स्थित कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का नमूना लिया. ये सफलता हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के सदस्यों सहित वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बड़े स्तर पर किए गए सहयोग के कारण संभव हो सकी है. इन्होंने प्रोब में लगे एक महत्वपूर्ण उपकरण सोलर प्रोब कप का निर्माण किया और फिर उसकी निगरानी की.
यह कप ही वो उपकरण है, जिसने सूर्य के वायुमंडल से कण एकत्र किए हैं, जिससे वैज्ञानिकों को यह सत्यापित करने में मदद मिली कि अंतरिक्ष यान वास्तव में कोरोना को पार गया था. कप द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, अंतरिक्ष यान ने 28 अप्रैल को पांच घंटे में तीन बार कोरोना में प्रवेश किया. ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में बताने वाला साइंटिफिक पेपर फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है. जिसमें सीएफए एस्ट्रोफिजिसिस्ट एंथनी केस ने बताया कि कैसे सोलर प्रोब कप अपने आप में इंजीनियरिंग की एक अविश्वसनीय उपलब्धि था.
गर्मी से बचाने के लिए उपकरण का निर्माण उन सामग्रियों से किया गया था, जिनमें टंगस्टन, नाइओबियम, मोलिब्डेनम और नीलम जैसे हाई मेल्टिंग पॉइंट मौजूद हैं. पृथ्वी के विपरीत, सूर्य की कोई ठोस सतह नहीं है. लेकिन इसमें अत्यधिक गर्म वातावरण होता है, जो गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय बलों द्वारा सूर्य से बंधी सौर सामग्री से बना होता है. वहीं कोरोना सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत होती है, जहां मजबूत चुंबकीय क्षेत्र प्लाज्मा को बांधते हैं और सौर हवाओं को बाहर निकलने से रोकते हैं. नासा के अनुसार, पार्कर सोलर प्रोब की सफलता तकनीकी इनोवेशन से कहीं अधिक है. इस अंतरिक्ष यान की ऐतिहासिक उपलब्धि ने सूर्य के बारे में सदियों पुराने रहस्यों को सुलझाने की उम्मीद जगा दी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-आधी रात को पीएम मोदी ने किया बनारस रेलवे स्टेशन का निरीक्षण, काशी विश्वनाथ मंदिर भी पहुंचे
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