लंदन. वैज्ञानिकों ने मंगल की सतह के नीचे एक गुप्त पानी के स्त्रोत की खोज की है. यह लाल ग्रह के वैलेस मेरिनेरिस के अंदर है. साइंटिस्टों का कहना है कि इस घाटी के सतह में 40 प्रतिशत तक पानी हो सकता है. यह खोज ट्रेस गैस ऑर्बिटर द्वारा की गई है. छिपा हुआ जलाशय करीब 45,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक के आकार का है, जो हरियाणा राज्य के आकार के करीब है.
वैज्ञानिकों ने कैसे खोजा पानी?
पानी के संकेतों को ऑर्बिटर के फाइन रेजोल्यूशन एपिथर्मल न्यूट्रॉन डिटेक्टर उपकरण द्वारा उठाया गया था. जिसे मंगल ग्रह के परिदृश्य का सर्वेक्षण करने और मिट्टी में हाइड्रोजन के छिपे होने की उपस्थिति को मैप करने के लिए डिजाइन किया गया है. जबकि उच्च-ऊर्जा ब्रह्मांडीय किरणे सतह पर गिरती है और मिट्टी न्यूट्रॉन का उत्सर्जन करती है. गीली मिट्टी, सूखी मिट्टी की तुलना में कम न्यूट्रॉन का उत्सर्जन करती है. यह वैज्ञानिकों को इसकी प्राचीन सतह के नीचे छिपी मिट्टी की जल सामग्री का आकलन करने में सक्षम बनाती है. डिटेक्टर ने वैलेस मेरिनेरिस कैनियन सिस्टम में बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन के साथ एक क्षेत्र का खुलासा किया. इस क्षेत्र में निकट-सतह सामग्री का 40 प्रतिशत पानी प्रतीत होता है.
क्या मंगल पर पानी की खोज पहने हो चुकी है?
वैज्ञानिकों ने मंगल पर पानी की खोज पहले की कर ली है. हालांकि अधिकांश ने अपनी खोज में जीवन के लिए महत्वपूर्ण पदार्थ का पता लगाया है. इसके निचले अक्षांशों पर पानी के केवल बहुत छोटे हिस्से दिखाई दिए थे. लाल ग्रह पर भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होगी. वहीं निचले अक्षांशों पर ग्रह को बसाने की बेहतर संभावनाएं हैं. हालांकि वैलेस मेरिनेरिस में पानी की खोज होने से इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-क्या एलियन्स ने मंगल ग्रह पर बना रखा है गुप्त अड्डा?
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