कर्नाटक में मिड-डे मील में अंडे दिए जाने का मुद्दा गरमाया, साधुओं और मठों ने की आंदोलन करने की घोषणा

कर्नाटक में मिड-डे मील में अंडे दिए जाने का मुद्दा गरमाया, साधुओं और मठों ने की आंदोलन करने की घोषणा

प्रेषित समय :12:52:26 PM / Mon, Dec 20th, 2021

बेंगलुरु. कर्नाटक के कल्याण और विजयपुरा में स्कूली बच्चों को मिड-डे मील में अंडे दिए जाने के फैसले के खिलाफ साधुओं और मठों ने आंदोलन करने की घोषणा की है. ऑल इंडिया वेजिटेरियन फेडरेशन ने स्कूलों में बच्चों को अंडे दिए जाने के खिलाफ सोमवार को बेलगावी में विधानसभा चलो आंदोलन की अपील की है. फेडरेशन ने सरकार से अपील की है कि अंडे के बदले बच्चों को मल्टीविटामिन युक्त शुद्ध वेजिटेरियन खाना दिया जाना चाहिए.

कर्नाटक सरकार ने हाल में कुपोषण से निपटने के लिए बीदर, रायचूर, कलबुर्गी, यादगीर, कोप्पल, बेल्लारी और विजयपुरा जिलों के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों के लिए अंडे देने का फैसला किया था. इस बीच लिंगायत, जैन, ब्राह्मण जैसे समुदाय से संबंधित प्रसिद्ध मठ और दूसरे धार्मिक संस्थान इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने बेलगावी में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार से अपील की कि धार्मिक समुदायों से आने वाले लाखों छात्रों के हित में अंडे देने के फैसले को वापस लिया जाए.

रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया वेजिटेरियन फेडरेशन के संयोजक दयानंद स्वामीजी ने कहा कि विधानसभा चलो आंदोलन के जरिए AIVF सिर्फ शाकाहारी खानों पर निर्भर लाखों छात्रों के लिए राज्य में अलग से “वेजिटेरियन आंगनवाड़ी और स्कूलों” को खोलने की भी मांग करेगी. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई खुद आंदोलनकारियों से नहीं मिलते और मिड-डे मील से अंडे वापस नहीं लेते.

उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य सरकार ने स्कूलों में छात्रों को अंडे के बदले केले का विकल्प दिया है, लेकिन स्कूल में बच्चों को नियमित रूप से अंडे देने की परंपरा “शाकाहारी धर्मों” के बच्चों को अंडे खाना शुरू करने के लिए मजबूर करेगी. उन्होंने कहा कि अगर आंगनवाड़ी से लेकर 8वीं कक्षा तक बच्चों को सालों तक स्कूल परिसर में अंडे खिलाए जाते हैं, तो इसका असर शाकाहारी बच्चों पर स्वभाविक रूप से पड़ेगा.

इससे पहले उडुपी पेजावर मठ के प्रमुख स्वामी विश्वप्रसन्ना तीर्थ ने कहा था कि सभी बच्चों को मिड-डे मील में अंडे देने के बारे में उनकी राय मांगी गई थी, जिसपर उन्होंने कहा था कि सभी को अपनी पसंद का भोजन करने की स्वतंत्रता है और शाकाहारियों को अंडे खाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. स्वामी ने कहा था, टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला गया कि मैं कमजोर और कुपोषित बच्चों को अंडे देने के खिलाफ हूं. मीडिया के एक वर्ग ने इस मुद्दे पर लोगों को मेरे खिलाफ करने का प्रयास करते हुए उन्हें गुमराह किया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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