पटरी से उतरी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था, दिवालिया होने की कगार पर खड़ा देश

पटरी से उतरी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था, दिवालिया होने की कगार पर खड़ा देश

प्रेषित समय :12:37:23 PM / Tue, Jan 4th, 2022

कोलम्बो. श्रीलंका गहराते वित्तीय और मानवीय संकट में डूबता जा रहा है. महंगाई की रिकॉर्ड ऊंचाई, खाने की कीमतों में उछाल और महामारी की वजह से हुए नुकसान के चलते श्रीलंका का खजाना खत्म होने की कगार पर आ खड़ा हुआ है. ऐसे में इस साल श्रीलंका के दिवालिया होने की आशंका है. ब्रिटिश अखबार गार्जियन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को अगले 12 महीनों में घरेलू और विदेशी कर्जों में अनुमानित 7.3 अरब डॉलर चुकाने की जरूरत है

इसमें जनवरी में 500 मिलियन डॉलर का अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड का पुनर्भुगतान भी शामिल है. वहीं, नवंबर तक उपलब्ध विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 1.6 अरब डॉलर था. कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव और पर्यटन को हुए नुकसान के अलावा, उच्च सरकारी खर्च और कर-कटौती से राज्य के राजस्व में कमी ने गोटाबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार के सामने मुसीबत खड़ी की है. इसके अलावा, चीन को चुकाए जाने वाले कर्ज और रिकॉर्ड कम विदेशी मुद्रा भंडार ने भी सरकार की नींद उड़ान हुई है.

घरेलू कर्जों और विदेशी बांडों को चुकता करने के लिए पैसे की छपाई में तेजी ने महंगाई को एक महीने पहले के 9.9 प्रतिशत से दिसंबर में 12.1 प्रतिशत तक पहुंचा दिया. कोलंबो कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स द्वारा मापी गई मासिक महंगाई खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं दोनों की कीमतों में मासिक इजाफे से प्रभावित थी. देश के केंद्रीय बैंक ने ऐलान किया कि दिसंबर खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति एक महीने पहले 17.5 प्रतिशत से बढ़कर 22.1 प्रतिशत हो गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व बैंक का अनुमान है कि महामारी की शुरुआत से 5,00,000 लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं, जो गरीबी से लड़ने में किए गए पांच साल की प्रगति के बराबर है. वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल के अनुसार, पर्यटन से नौकरियों और महत्वपूर्ण विदेशी राजस्व का नुकसान पर्याप्त रहा है. पर्यटन का आमतौर पर देश के सकल घरेलू उत्पाद में 10 प्रतिशत से अधिक का योगदान रहता है. महामारी की वजह से यात्रा और पर्यटन क्षेत्रों में 2,00,000 से अधिक लोगों की आजीविका भी गई है.

राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने नए साल के संदेश में नकदी की तंगी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की आशा व्यक्त की. लेकिन उन्होंने अर्थव्यवस्था के गंभीर विदेशी मुद्रा संकट को दूर करने के उपायों की घोषणा नहीं की. राष्ट्रपति ने कहा, मुझे विश्वास है कि नया साल सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को आगे बढ़ाने और चुनौतियों को दूर करने पर जोर देगा. इसके अलावा, इस साल जन-केंद्रित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर काम किया जाएगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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