RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा-देश की अर्थव्यवस्था कोरोना के खतरे से बाहर हुई

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा-देश की अर्थव्यवस्था कोरोना के खतरे से बाहर हुई

प्रेषित समय :11:01:12 AM / Wed, Dec 8th, 2021

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरें नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. रेपो रेट 4 फीसदी पर, रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर स्थिर रहा है. MPC ने अपना अकोमोडिटिव रुख बरकरार रखा है. आपको बता दें कि पिछले साल (साल 2020),  के मार्च में RBI ने रेपो रेट में 0.75 फीसदी और मई में 0.40 फीसदी की कटौती की थी. इन कटौतियों के बाद रेपो रेट 4 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक आंकड़ों से खपत मांग के सुधरने के संकेत मिल रहे हैं. कृषि सेक्टर की मदद से ग्रामीण मांग में भी सुधार हो रहा है.

कोरोना की दूसरी लहर के झटकों से इकोनॉमी उबर रही है और इसमें तेजी आ रही है लेकिन यह लंबे समय तक कायम होती नहीं दिख रही है. शक्तिकांत दास के मुताबिक इकोनॉमिक रिकवरी लंबे समय तक बनी रहे, इसके लिए पॉलिसी सपोर्ट जरूरी है.

पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी और वैट में कटौती से मांग में बढ़ोतरी की संभावना है. आरबीआई ने कच्चे तेल की कीमतों में कटौती का भी संज्ञान लिया है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कंजप्शन डिमांड में सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि OMO के जरिए जनवरी, 2022 से लिक्विडिटी घटाने की कोशिश की जाएगी. गवर्नर ने कहा कि जनवरी, 2022 से लिक्विडिटी एडजस्टमेंट की योजना पर काम होगा.

रेपो रेट- रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं. रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे. जैसे कि होम लोन, कार और गोल्ड लोन.

रिवर्स रेपो रेट- जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है. यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है.

सीआरआर- देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत हरेक बैंक को अपनी कुल रकम का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) या नकद आरक्षित अनुपात कहते हैं.

एसएलआर- जिस दर पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर कहते हैं. नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है. आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बगैर नकदी की तरलता कम करना चाहता है तो वह सीआरआर बढ़ा देता है, इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए कम रकम बचती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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