जबलपुर. राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के 33 वें दीक्षा समारोह में विद्यार्थियों को उपाधि और स्वर्ण पदक का वितरण किया. इस दौरान उन्होंने अपने उद्बोधन में जनजातीय समाज में अनुवांशिकी रोग सिकल सेल को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि मप्र में सवा करोड़ की जनसंख्या वाले जनजातीय समाज में सिकल सेल की रोकथाम के लिए जरुरी प्रयास करना होगा. सरकार के साथ विश्वविद्यालय अपने स्तर पर इसके लिए अभियान चलाए. हर विश्वविद्यालय को पांच-पांच गांव गोद लेने हैं.
जहां इस बीमारी का सर्वे कर कितने लोग इससे ग्रसित है कितने की रोकथाम हो सकती है इसका पता लगाए. दीक्षा समारोह में एक डीलिट,190 शोध उपाधि एवं 64 विद्यार्थियों को 128 स्वर्ण पदक का वितरण किया गया. कोरोना प्रोटोकाल के बीच दीक्षा समारोह का आयोजन हुआ. इस दौरान करीब एक दर्जन विद्यार्थी जांच में कोरोना संक्रमित मिले. जिन्हें कार्यक्रम से दूर रखा गया.
राज्यपाल मंगुभाईपटेल ने कहा कि उन्हें संस्कारधानी में आकर गर्व हो रहा है. उन्होंने कहा कि कठिन परिश्रम के साथ शोध और पदक हासिल करने वाले बधाई के पात्र है. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षा की सार्थकता तभी है जब इसका उपयोग देश, समाज के लिए किया जाए. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जनजातियों का प्रतिनिधित्व करता है. जनजातीय समाज में सिकल सेल की समस्या है इसके लिए जागरूकता जरूरी है. उन्होंने कहा कि सिकल सेल बीमारी से ग्रसित युवक-युवती आपस में विवाह कतई न करें. नहीं तो उनकी संतान में भी यह रोग जन्मजात होगा.
राज्यपाल ने बताया कि जब वे गुजरात सरकार में मंत्री थे तब उन्होंने जनजातीय समाज में सिकल सेल को लेकर काम किया. विश्वविद्यालय भी सिकल सेल को लेकर जांच अभियान चलाए. उन्होंने कहा हमारे समाज में एक बच्चा भी कहीं फंस जाता है तो उसे बचाने के लिए घर-मोहल्ले,पुलिस लग जाती है. कई बार तो सेना भी बचाव अभियान में जुटती है. यहां से सवा करोड़ जनसंख्या वाले जनजातीय समाज है. उन्होंने कहा कि दीक्षा की सार्थकता तभी है जब हम पांच बच्चों को इस बीमारी से बचाए. उन्होंने इस बीमारी की दर्दनाक पहलुओं का जिक्र किया. बताया कि पुराने समय में घर के नजदीक रहने वाली दो बच्ची की इस बीमारी से देखते-देखते मौत हो गई.
नौकरी लेने वाले नहीं, देने वाले बने
राज्यपाल मंगुभाई पटैल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई शिक्षा नीति बंधनमुक्त है. इसमें युवा नौकरी लेने वाले नहीं नौकरी देने वाले बने, ताकि सशक्त और समृद्व भारत का निर्माण हो. राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अतुल कोठारी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी शिक्षा का एक मंत्र था शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए. अर्थात शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात इसका उपयोग समाज,राष्ट्र की सेवा के लिए करे. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को शिक्षण के प्रारंभ में उद्देश्य और कत्वर्य का ज्ञान कराना चाहिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि मैं चिकित्सक बनना चाहता हूं और देश में छह लाख गांव में चिकित्सक नहीं है बीमारियों से देश में लाखों लोगों की मौत हो जाती है. ऐसी परिस्थितियों को ठीक करने मुझे चिकित्सक बनने का संकल्प होना आवश्यक है. यदि छात्रों में ऐसी दृष्टि का विकास होता है तो आज की चुनौतियों का समाधान मिल जाएगा. उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने वर्चुअल तरीके से दीक्षा समारोह में जुड़े. उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि देश आपकी सेवा और सहयोग की प्रतीक्षा कर रहा है. कुलपति प्रो.कपिल देव मिश्र ने विश्वविद्यालय की उपलब्धि के बारे में जानकारी दी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर मंडल की 5 यात्री गाडिय़ों में रेलवे ने मासिक सीजन टिकट सुविधा प्रारंभ
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